लैंसडौन। पर्यटन नगरी और छावनी लैंसडौन में भीषण गर्मी तो पड़ ही रही है, साथ ही साथ लैंसडौन की पेयजल व्यवस्था चरमरा गई है।
लैंसडौन में पिछले एक सप्ताह से पानी का संकट लगातार बना हुआ है। पानी की कमी के चलते लोगों को पीने के लिए बोतल का पानी खरीदना पड़ रहा है। मैदाने में गर्मी ज्यादा होने की वजह से पर्यटक भी लगातार लैंसडौन पहुँच रहे हैं, साथ ही साथ विद्यालयों की छुट्टी होने की वजह से भी लैंसडौन में रिश्तेदारों की संख्या में भी अच्छा खासा इजाफा देखने को मिल रहा है। जिस वजह से यहां पानी की मांग तो बढ़ गई है, मगर आम दिनों में जितना पानी मिलता है उतना पानी भी लैंसडौन वासियों को नसीब नहीं हो रहा है।
लैंसडाउन की सिविल आबादी को पानी की आपूर्ति का जिम्मा छावनी विभाग के अधीन है। राज्य सरकार की भैरव गाड़ी पंपिंग योजना के साथ ही वर्ष 1963 में हुए अनुबंध के तहत सेना का एमईएस विभाग छावनी परिषद को प्रतिदिन 22000 गैलन पानी उपलब्ध करा रहा है। इसके अलावा छावनी विभाग की अपनी योजना पठानकोट और डिग्गी लाइन पंपिंग योजना से प्रतिदिन 18,000 लीटर पानी मिलता है, जबकि छावनी विभाग ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पानी के टैंकर भी लगाए हुए हैं। इन टैंकरों से छावनी विभाग को 38000 लीटर पानी रोजाना मिलता है।
इन सबके बावजूद लैंसडौन में कुछ समय तक के लिए ही पेयजल आपूर्ति हो पा रही है। स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा ने भैरवगढ़ी पंपिंग योजना स्वीकृत करवाने में ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया था, और उम्मीद जगी थी कि भैरवगढ़ी पंपिंग योजना से लैंसडौन की सिविल आबादी की पानी की समस्या हल हो सकेगी।