मूल निवास 1950 के संबंध में क्या कहा भिकियासैंण के निवासियों ने ?

मूल निवास भू कानून संघर्ष समन्वय समिति के द्वारा मूल निवास 1950 लागू करने व भू कानून बनाने के लिए अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण में इंटर कॉलेज भिकियासैंण से किनारी बाजार, रामलीला ग्राउंड होते हुए तहसील तक जलूस निकाला गया।

इस प्रदर्शन में भिकियासैंण की मूल जनता री संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।

समिति के सदस्य लूसुन टोडरिया ने बताया कि मूल निवास 1950 को खत्म करने की वजह से जल जंगल जमीन पर हमारा अधिकार खत्म हो गया है । हमारे संसाधनों पर बाहरी लोग कब्जा कर रहे हैं और हमारे लोगों को यहां से पलायन करने के लिए बाहरी लोग मजबूर कर रहे हैं। लूसुन टोडरिया ने कहा कि उत्तराखण्ड भारत का इकलौता ऐसा राज्य है जहां के मूल निवासियों की भाषा को न तो भाषा का आधिकारिक दर्जा प्रदान किया गया है, और साथ ही साथ  समूह  ग की परीक्षा में पहले लोक भाषा का पर्चा आता था जिसे भाजपा सरकार द्वारा खत्म कर दिया गया है, जो इस बात का द्योतक है कि राज्य को हमारे मूल नेता नहीं चन्द बाहरी लोग नियंत्रित कर रहे हैं।

इस अवसर पर राज्य आंदोलनकारी मनीष सुंदरियाल ने कहा कि राज्य के मूल निवासियों के हितों की रक्षा के लिए पहला कदम ही मूल निवास 1950 को लागू करना है।उन्होंने कहा कि मूल निवास 1950 न होने की वजह से हमारे संसाधनों के साथ साथ नौकरियों पर भी बाहरी लोगों के द्वारा डाका डाला जा रहा है, जिसे रोका जाना जरूरी है। 

जलूस में शामिल होने वालों में आनंद नाथ, श्याम सिंह, दिनेश जोशी, आनंद सिंह नेगी, राजेंद्र नेगी, कुसुमलता बौड़ाई, रविन्द्र नेगी, विकास उपाध्याय, भुवन चंद्र कठायत, प्रकाश उपाध्याय, महेश उपाध्याय,  मनीष सुंदरियाल, बिशन सिंह, राकेश सिंह अधिकारी, अरविंद सिंह नेगी, पुष्कर पाल सिंह, रविन्द्र सिंह, विजय उनियाल, श्याम सिंह, आनंद शर्मा, भोले शंकर, हितेश बिष्ट, जगदीश जोशी, भगवत सिंह, दुर्गा सिंह बंगारी, छोटू प्रधान, रवि रौतेला, प्रह्लाद बिष्ट आदि मौजूद थे।

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