घर में शौचालय न होने के नाम पर राज्य निर्वाचन आयोग की नामांकन रद्द करने पर हाई कोर्ट ने क्यों लगाई रोक ?

नैनीताल। टिहरी जिले की रहने वाली ग्राम प्रधान प्रत्याशी कुसुम कोठियाल के घर मे सुलभ शौचालय नहीं होने के कारण उनका नामांकन रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग को झटका देते हुए उनका नामांकन रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी है।

कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिए हैं कि शीघ्र कुसुम कोठियाल को चुनाव चिह्न जारी करें। सुनवाई पर आयोग की तरफ से कहा गया नामांकन भरने व उनकी जांच हो चुकी है। नामांकन पत्र के शपथपत्र के मुताबिक उनका नामांकन सही नहीं पाया गया था। कमेटी ने उसकी स्क्रूटनी के बाद नामांकन पत्र को रद्द किया है।

इस पर विरोध दर्ज करते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि यह नियमों के विरुद्ध जाकर निरस्त किया गया है। जरूरी नहीं है कि घर के अंदर ही शौचालय हो? उनका शौचालय घर डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर है. किस आधार पर उनका नामांकन निरस्त किया जा सकता है?

मामले के अनुसार टिहरी जिले की निवासी कुसुम कोठियाल ने याचिका दायर कर कहा कि वे ग्राम प्रधान के पद के लिए पंचायत चुनाव का इलेक्शन लड़ रही हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने उनका नामांकन इस आधार पर निरस्त कर दिया कि उनके घर में शौचालय नहीं है। याचिका में उन्होंने कहा ग्रामीण क्षेत्रों में घरों के शौचालय घर के बाहर ही होते हैं। उन्होंने हाईकोर्ट में नामांकन पत्र को बहाल करने की अपील की थी।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि मोदी राज में सरकार को गाँवों में शौचालयों की स्थिति का ही पता नहीं है, फिर भी मोदी सरकार विकास का ढिंढोरा पीटती फिरती है।

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