अतिक्रमण के नाम पर गरीबों की सब्जी पलटने वाला कोटद्वार नगर निगम रसूखदारों के स्थाई अतिक्रमण के सामने क्यों हो जाता है बेबस!

कोटद्वार। अतिक्रमण कोटद्वार नगर निगम समेत प्रदेश के सभी शहरों की स्थाई समस्या बन चुकी है। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा कोटद्वार की नजूल भूमि, बदरीनाथ मार्ग व गोखले मार्ग से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे। जिसके क्रम में नगर निगमों ने अपनी ही कई गलत सलत आख्याओं और लीज के साथ साथ सार्वजनिक उपयोग की भूमि जो फ्री होल्ड कर दी थी, उसका सहारा लेकर अतिक्रमण हटाने से बचते रहे हैं। माननीय न्यायालय में कंटेम्पट से बचने के लिए थोड़ा बहुत अतिक्रमण हटा कर इतिश्री कर ली।

11 महीने पहले चिन्हित किए गए अतिक्रमणों पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई

 

नगर आयुक्त, नगर निगम कोटद्वार स्थाई अतिक्रमण को हटाने के कत्तई इच्छुक नहीं हैं। 11 महीने पहले स्थाई अतिक्रमण हटाने के नोटिस भेजे जरूर, मगर स्थाई अतिक्रमण आज तक नहीं हटाया, बदरीनाथ मार्ग पर फुटपाथ पर कब्जा किए बैठे लोगों के कब्जे हटाने को जरा भी उत्सुक नहीं हैं। झंडा चौक पर फुटपाथ से हटाया गया कब्जा पुन: अतिक्रमण की जद में आ गया। मस्जिद के बाहर हटाया गया कब्जा फिर से जस का तस हो गया, जिसका फायदा भाजपा के कार्यकर्ता कांग्रेस की मेयर होने के कारण कब्जा नहीं हटाया गया, कह कर उठाने की यदा कदा कोशिश करते हैं, क्योंकि आम जनता को नहीं पता कि विपक्ष के मेयर की ताकत कितनी होती है।

नगर निगम अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत गरीब सब्जी फल वालों को जरूर परेशान करता है। फल सब्जी वालों के नेता भी चाहते हैं कि उनकी नेतागिरी चमकती रहे इसलिए वो भी निगम को इसका स्थाई समाधान बताने की बात तक नहीं करते, जबकि निगम के प्रावधानों में रेडी ठेली वालों को नियत जगह उपलब्ध कराने का प्रावधान है, जिससे यातायात भी बाधित न हो और गरीबों का काम भी चल सके।

नगर आयुक्त शहर के प्रभावशाली मार्ग गोखले मार्ग, बदरीनाथ मार्ग, गंगादत्त जोशी मार्ग और नजूल भूमि की 62 बीघा में हाई कोर्ट की डबल बेंच के फैसले को दरकिनार करते हुए नजूल भूमि पर सिंगल बेंच के फैसले को लेकर अतिक्रमण हटाने से अपनी मजबूरी जता  रहे हैं। मगर हाई कोर्ट की डबल बेंच के आदेश का अनुपालन नहीं कर रहे हैं। नगर निगम की नाली तक पर अतिक्रमण नहीं हटा पा रहे हैं नगर आयुक्त।

 

 

 

 

 

 

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