कांग्रेस के भाजपा को वॉक ओवर के बाद भी त्रिवेंद्र की सीट क्यों डगमग

हरिद्वार। हरिद्वार लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी विधायक उमेश कुमार ने लोकसभा चुनावों को रोचक बना दिया है। जब से उत्तराखण्ड में कांग्रेस के प्रत्याशियों के नाम सामने आए तो आम जनता आश्चर्यचकित रह गई कि भाजपा की कट्टर दुश्मन कांग्रेस ने गढ़वाल संसदीय क्षेत्र छोड़कर बाकी लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा को वॉक ओवर दे दिया। बात करें तो टिहरी लोकसभा के कांग्रेस प्रत्याशी मसूरी विधानसभा से बाहर कभी सक्रिय नहीं रहे और खुद कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनावों में उन्हें विधानसभा चुनाव लडने लायक प्रत्याशी भी नहीं माना था, ऐसे में उनका लोकसभा में नामांकन बता गया कि कांग्रेस प्रदेश के बड़े नेताओं ने भाजपा के साथ अरुंदनी सांठ गांठ कर ली है, बॉबी पंवार जैसे मजबूत नेता के बारे में बात तक न करना इस ओर इशारा करता है।

ऐसे ही हरिद्वार में खानपुर विधायक उमेश कुमार अपनी जीत को और पक्की करने के लिए कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे, मगर कांग्रेस की यह निश्चित जीत प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं को हजम नहीं हो रही थी। एक ओर जहाँ भाजपा ने जीत पक्की करने के लिए हेमंत बिस्व सरमा जैसे कांग्रेसियों को टिकट दिया जो मोदी के बारे में कांग्रेस में रहते हुए जहर उगलता था। भाजपा में ऐसे कई नेता हैं जो विपक्ष में रहते हुए भाजपा और मोदी पर आक्रामक रहे मगर एक जीत के लिए भाजपा ने उन्हें गले लगा लिया।

दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने तमाम बहाने दिखा कर भाजपा को वॉक ओवर दिया है, मगर हरिद्वार लोकसभा में उमेश ने मुकाबले को रोमांचक बना दिया है। हरीश रावत भले ही उमेश को भाजपा का एजेंट बताने की कोशिश कर रहे हों, पर जनता को पता है कि जिस उमेश कुमार को त्रिवेंद्र रावत की पुलिस ने मौत के मुँह में पहुँचा दिया हो, वो व्यक्ति भला त्रिवेंद्र से समझौता क्यों करेगा, उल्टा ही त्रिवेंद्र के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही हरीश रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत की कभी कचमोली कभी आम पार्टी मीडिया में सुर्खियां बनी रही।

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