क्या गोविंद बल्लभ पंत के सपनों को मोदी सरकार ग्रहण लगाएगी ?

कुमाऊँ के समग्र विकास की के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय गोविंद बल्लभ पंत ने कुमाऊँ के लोगों को व्यापार में आगे बढ़ाने के लिए सन 1922 में नैनीताल में एक बैंक खुलवाया। कुमाऊँ की अपनी पहचान को बनाए रखने के लिए इस बैंक का नाम नैनीताल बैंक रखा गया था।

इन सौ सालों के लम्बे सफर में नैनीताल बैंक ने बहुत उतार चढ़ाव देखे और निदेशकों के अपने निजी कारणों से बैंक के अधिकार बैंक ऑफ़ बड़ौदा को सौंप दिए गए मगर तब तक नैनीताल बैंक का नाम कुमाऊँ के लोगों की रगों में दौड़ते खून की अलग पहचान बना गया था, इसलिए कुमाऊँ के बड़े नेता हरीश रावत ने नैनीताल बैंक का नाम नहीं बदलने दिया।

यद्यपि बैंक ऑफ़ बड़ौदा के निदेशकों ने नैनीताल बैंक को एक औपनिवेश समझ कर नैनीताल बैंक का संचालन किया और नौबत यहां तक आई कि नैनीताल की एक एजीएम में बैंक ऑफ़ बड़ौदा के निदेशक की हेकड़ी नैनीताल की महिला शक्ति ने निकाल दी थी।
अप्रैल 2004 में, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी (एनआईसी) ने उत्तराखंड, हरियाणा और नई दिल्ली राज्यों में बैंक की शाखाओं के माध्यम से अपने सामान्य बीमा उत्पादों के वितरण के लिए नैनीताल बैंक के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। 31 मार्च 2006 को बैंक की कुल संपत्ति लगभग 1.12 अरब रुपये थी। वर्तमान में, नैनीताल बैंक की उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में 170 शाखाएँ हैं। यह व्यक्तिगत बैंकिंग, व्यावसायिक बैंकिंग, ग्रामीण और कृषि बैंकिंग के अलावा ऑनलाइन सुविधाएं भी प्रदान करता है। नैनीताल बैंक लिमिटेड भारत के केंद्रीय बैंक , भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के साथ अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक के रूप में पंजीकृत है।
बाजार के तमाम उतार चढ़ाव और खतरों के बावजूद नैनीताल बैंक एक सुदृढ़ वित्तीय संस्थान है। जिसे मोदी सरकार निजी क्षेत्र के हाथों में सौंपना चाहती है। इस बैंक की सबसे खास बात यह है कि नैनीताल बैंक में स्थानीय मूल निवासियों की भागीदारी साठ प्रतिशत से अधिक है जिसका एक अतिरिक्त लाभ उत्तराखण्ड के निवासियों को मिलता है, अगर बैंक का निजीकरण हो गया तो मूल निवासियों को नौकरी मिलना तो मुश्किल होगा ही, उत्तराखण्डवासियों को जो अपनेपन का लाभ इस बैंक से मिलता है वो खत्म हो जाएगा। यह बैंक आज तरक्की कर रहा है और वर्ष 2025 तक बैंक का उद्देश्य बीस हजार करोड़ के टर्नओवर तक पहुंचना है।

पहले जब नैनीताल बैंक का अस्तित्व खत्म हो रहा था तब कुमाऊँ के लोगों ने संघर्ष कर इसे बचा लिया था। अब फिर एक बार वही दौर शुरू हो चुका है कुछ अपने भविष्य को लेकर तो कुछ अपने राज्य की आन की खातिर नैनीताल बैंक को निजी हाथों में ना दिए जाने के लिए संघर्ष के लिए तैयार हो रहे हैं।
आज देखना है कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा, और पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी कुमाऊँ के स्वाभिमान के लिए क्या करते हैं।

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