नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी और जम्मू कश्मीर रियासत के पूर्व महाराज कर्ण सिंह ने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई को एक पत्र लिख कर उत्तराखण्ड में चार धाम प्रोजेक्ट के तहत सड़कों के चौड़ीकरण के मामले में वर्ष 2021 में दिये गए फैसले पर पुर्नविचार करने का आग्रह किया है।
पुर्नविचार के मुरली मनोहर जोशी और कर्ण सिंह के इस पत्र का इतिहासकार और पद्म श्री विजेता शेखर पाठक, पद्म भूषण प्राप्त रामचंद्र गुहा, संघ के विचारक के एल गोविंदाचार्य समेत नामी गिरामी 57 लोगों ने समर्थन किया है।
जोशी और कर्ण सिंह के उस पत्र में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के उस सर्कुलर को रद्द करने की मांग की गई है, जिसमें सड़कों के चौड़ीकरण की मानक चौड़ाई 5.5 मीटर से 12 मीटर कर दी गई थी।
14 दिसंबर 2021 को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्र सरकार की उस योजना को मंजूरी दे दी थी, जिसमें ऋषिकेश माणा, ऋषिकेश गंगोत्री और टनकपुर पिथौरागढ़ के राष्ट्रीय राजमार्गों को 12 मीटर चौड़ा किये जाने का प्रस्ताव था।
चारधाम योजना के तहत बन रही इन सड़कों की कुल लम्बाई 825 किलोमीटर है, जिसमें से 11 जून 2025 तक 629 किलोमीटर का निर्माण हो चुका है।
पत्र में उत्तरकाशी के भागीरथी इको सेंसेटिव जोन में सड़क की 12 मीटर की चौड़ाई को तुरंत रोकने की मांग भी की गई है। पत्र में कहा गया है कि इसमें एक बाईपास को सिफारिशों के खिलाफ जाकर मंजूरी दी गई है, जिसकी वजह से 3000 पेड़ काटे जाने हैं, जिससे 17 हेक्टेयर जंगल खत्म हो जायेगा। बाकी सड़क के चौड़ीकरण की जड़ में आने वाले 6000 पेड़ों को भी काटा जाना है। हाल ही में उत्तरकाशी में आई आपदा में जान माल की भारी क्षति हुई है।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि सड़कों की चौड़ाई बढ़ाये जाने की वजह से हिमालय लगातार कमजोर हुआ है और पहाड़ जगह जगह से दरक रहे हैं। एडवोकेट जोशी ने आरोप लगाया कि सड़कों को ऑल वेदर रोड बनाये जाने के लिये जो मैटीरियल लगाया गया और जो ड्राइंग बनाई गई उससे लगता नहीं कि वो ऑल वेदर रोड के लिए है और हर पहली बरसात में सड़क बंद हो जाती है। उन्होंने कहा कि पहाड़ को छीलने के बाद उसका ट्रीटमेंट ही नहीं किया गया और रिटेनिंग वाल मात्र खानापूर्ति के लिए लगा दी गई।