मूल निवास 1950 और भू कानून की मांग को लेकर आज हल्द्वानी में गरजे उत्तराखण्ड के मूल निवासी।
ज्ञात हो कि उत्तराखण्ड में मूल निवासियों के हक में पहले से ही जो नियम कानून चल आ रहे थे, उसे भाजपा कांग्रेस ने मिलकर धीरे-धीरे खत्म कर दिया । इस वजह से उत्तराखण्ड में हाल यह हो गया कि इन 23 सालों में मूल निवासी को रोजगार स्वरोजगार के लिए पलायन करना पड़ रहा है, और यहां बाहर के निवासी जाकर जमीन खरीद रहे हैं।

जिससे जमीनों के दाम भी अनाप-शनाप तरीकों से बढ़ गए हैं और एक डेमोग्राफी चेंज जो हो रहा है, उससे यहां के कुमाऊनी और गढ़वाली समाज पर विपरीत असर पड़ रहा है।
बाहर से आए लोग गढ़वाली और कुमाऊनी समाज पर हावी हो रहे हैं गढ़वाली और कुमाऊनी समाज के सीधेपन का फायदा उठाते हुए उनके हक हकूक छीन रहे हैं।

क्योंकि भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेता इसमें दिल्ली और नागपुर से संचालित होते हैं, इसलिए चाह कर भी स्थानीय भाजपा कांग्रेस नेता उत्तराखण्ड के मूल निवासियों के हितों की आवाज नहीं उठा पा रहे हैं ।
इसलिए सामाजिक संगठनों को ही अब अपने मूल निवास के अधिकारों को बचाने के लिए आगे आना पड़ रहा है ।
क्योंकि मूल निवास के न होने के कारण जल जंगल जमीन पर मूल निवासियों का जो हक है वह भी नहीं मिल पा रहा है साथ ही साथ नौकरी भी बाहरी लोगों को मिल रही है।