उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त किया जाये: उविपा

देहरादून। उत्तराखण्ड में उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती परीक्षा में हुए लीक के बाद अधिकारियों द्वारा दी गई प्रतिक्रियाओं से संतुष्ट न होने पर पूरे प्रदेश का युवा तो सड़कों पर है, राजनैतिक दलों द्वारा भी उक्त प्रकरण की गंभीरता को समझते हुए यूके ट्रिपल एससी के अध्यक्ष जी एस मर्तोलिया को हटाने की मांग कर रहे हैं।

इसी क्रम में उत्तराखण्ड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने जी एस मर्तोलिया को तुरंत प्रभाव से हटाने की मांग की है। मुजीब नैथानी ने कहा कि मर्तोलिया कांग्रेसी विचारधारा से प्रभावित है और कांग्रेस से भाजपा में आये सुबोध उनियाल के हर सही गलत में साथ देता है। ऐसे व्यक्तियों से भाजपा की विचारधारा प्रदूषित हो रही है , और भाजपा के सांसद त्रिवेंद्र रावत इसी बहाने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्य विपक्ष की भूमिका निभाने वाली कांग्रेस की इस विषय पर प्रतिक्रिया से समझा जा सकता है कि मामला जो सड़कों पर है उससे इतर भी कोई कहानी हो सकती है।

उन्होंने कहा कि टिहरी में अपने कार्यकाल में मर्तोलिया के विवादास्पद कार्य चर्चाओं का विषय रहे थे और तब भी मर्तोलिया ने चुनाव की निष्पक्षता भंग करने की अपनी भरसक कोशिश कर सुबोध उनियाल को जिताने के लिए की थी, और अब न जाने किसके कहने पर आयोग की निष्पक्षता पर बट्टा लग रहा है।

मुजीब नैथानी ने कहा कि एसआईटी की प्रारंभिक जाँच में परीक्षा केंद्र के तीन कक्षों में जैमर न लगे होने की बात कही गई थी, मगर पेपर लीक बाथरूम से हुआ , यानी एसआईटी ने इस संभावना को न देखा न परीक्षा केंद्र में लगे जैमरों की ठीक से जाँच की, ऐसे में सवाल ये भी है कि क्या जो जैमर लगाए गए थे वो ठीक से काम कर भी रहे थे कि नहीं।
उन्होंने कहा कि प्रकाश में मात्र तीन पेपर का मामला आया है इसका मतलब यह नहीं कि केवल तीन ही पेपर लीक हुए हों। हो सकता है अन्य तीन पेपर किसी और ने लीक किए हों और अन्य तीन किसी और ने ताकि कम समय में पूरा पेपर सॉल्व कर परीक्षार्थियों को उपलब्ध कराया जा सके।

उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में ओएमआर शीट से भी आयोग के अंदर गड़बड़ की जाने की संभावना को बल मिलता है, इधर पुलिस खालिद में उलझी रहेगी उधर आयोग में ही चयन परीक्षा दूषित हो जाएगी। इसलिए अध्यक्ष को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए।

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