छह घंटों तक टैंक के ऊपर मदद का इंतजार करते रहे थे सेना के जवान पर ….

लद्दाख। पूर्वी लद्दाख की श्योक नदी में सैन्य अभ्यास के दौरान मारे गए 05 जवानों ने लगभग 06 घंटे तक संघर्ष किया था। भारतीय सेना के सूत्रों ने ये जानकारी दी है। वहीं, अलग-अलग पहलुओं से इस हादसे की जांच की जा रही है। द ट्रिब्यून से जुड़े अजय बनर्जी ने अपनी रिपोर्ट में ये जानकारियां दी हैं।

आर्मी जवान एक T-72 टैंक पर सवार होकर नदी पार कर रहे थे। ये सैन्य अभ्यास 13 हजार फीट की ऊंचाई पर हो रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नदी में अचानक से जलस्तर बढ़ने से ये हादसा हुआ। रिपोर्ट में आर्मी के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि नदी में टैंक के फंसने के बाद टैंक के पांच जवान टैंक के ऊपर आ गए थे। पांचों जवान करीब 06 घंटे तक टैंक के ऊपर बने रहे। इस दौरान उन्हें बचाने के प्रयास हो रहे थे। हालांकि, नदी का पानी उन्हें और टैंक को बहा ले गया। उस दिन श्योक नदी का पानी लगभग 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रहा था।

रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि जवानों को बचाने के लिए शुरू किए गए रेस्क्यू ऑपरेशंस विफल रहे। एक रेस्क्यू टीम तो खुद हादसे का शिकार होते-होते बची। आर्मी के सूत्रों ने बताया कि इस तरह के रेस्क्यू मिशन के लिए आर्मी के पास खास तरह की नावें होती हैं। इन्हें बाउट बोट असॉल्ट यूनिवर्सल टाइप कहा जाता है।  इसी तरह की एक नाव रेस्क्यू मिशन के लिए भेजी गई थी।  हालांकि, पानी के तेज बहाव के चलते नाव डूब गई और उसमें सवार रेस्क्यू टीम बाल-बाल बची।

दरअसल, पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना ने ऐसे स्थानों की पहचान की है जहां टैंक नदियों को पार कर सकते हैं। टैंक के अंदर पानी में तैरने और आगे बढ़ने की क्षमता होती है। 19-20 जून की दरमियानी रात घुप्प अंधेरे में ये सैन्य अभ्यास चल रहा था। मारे गए पांचों जवान सबसे आखिर में चल रहे टैंक में मौजूद थे। 

श्योक नदी, रीमो कांगड़ी ग्लेशियर से निकलती है। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लेशियर की बर्फ के तेजी से पिघलने की वजह से नदी में पानी का बहाव बढ़ गया। नदी लगभग 60 से 70 मीटर चौड़ी है और इतने तेज बहाव के बीच नदी में तैरना असंभव था। सूत्रों ने बताया कि यही वजह थी ना तो रेस्क्यू टीम के लोग जवानों तक पहुंच पाए और ना ही जवान खुद तैर पाए।

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