पिथौरागढ़। उत्तराखण्ड की स्वास्थ्य व्यवस्था ऐसी है कि लोगों को तत्काल इलाज नहीं मिलने के चलते कई बार उनकी जान तक चली जाती है। पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्र के लोगों की जिंदगी बीमार होने पर डोली के सहारे रहती है। ऐसा ही मामला सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के धारचूला से देखने को मिला है, जहां एक मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीण 12 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर मरीज को अस्पताल पहुंचाया गया।
धारचूला विकासखंड के मेतली गांव निवासी एक व्यक्ति के बीमार होने पर ग्रामीणों ने उसे डोली के सहारे 12 किमी पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाया, इसके बाद उसे 108 एंबुलेंस के माध्यम से उसे डीडीहाट अस्पताल पहुंचाया गया। धारचूला के ग्राम पंचायत मेतली निवासी 46 वर्षीय इंद्र सिंह के शरीर में अचानक सूजन आ गई, इस कारण वे चलने फिरने में पूरी तरह असमर्थ हो गये। परिजनों और ग्रामीणों ने उनकी स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन से हेली की व्यवस्था करने की अपील की।
जिला प्रशासन ने उन्हें हेली की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया, लेकिन समय ज्यादा होने और तबीयत अधिक बिगड़ने से लकड़ी की डोली बनाकर आपदा में ध्वस्त हुए बदहाल रास्तों से बरम पहुंचाया। इसके बाद उन्हें 108 एंबुलेंस के माध्यम से डीडीहाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार बड़े-बड़े दावे तो करती है, लेकिन हकीकत कुछ और है।
धारचूला और मुनस्यारी क्षेत्र आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील है, ऐसे में लोगों को तुरंत हेली की सेवा मिलनी चाहिए थी।जिलाधिकारी पिथौरागढ़ रीना जोशी का कहना है कि ग्रामीणों से एसडीआरएफ को भेजने की बात हुई थी, लेकिन टीम के भेजने से पहले ही वह मरीज को लेकर आ गए। गांव में हेलीपैड जैसी कोई सुविधा नहीं हो पा रही थी, जिसके चलते हेलीकॉप्टर को नहीं भेजा गया।