देहरादून। धामी सरकार की कैबिनेट बैठक कल देहरादून में हुई। अन्य मुद्दों के साथ जो सबसे बड़ा मुद्दा कैबिनेट बैठक में रखा गया था, वह आबकारी से संबंधित था। सरकार का पूरा ध्यान आबकारी व्यवस्था को सुव्यवस्थित करना था।
इस नीति के तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के राजस्व का लक्ष्य 4000 करोड रुपए है। इसके सापेक्ष इसमें 11% की वृद्धि की गई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 4,440 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा गया है।
आबकारी नीति में मदिरा की आपूर्ति के लिए थोक अनुज्ञापन (एफएल- 2) को निजी हाथों में देने का फैसला किया गया है, उत्तराखण्ड के मूल व स्थाई निवासियों को भारत में निर्मित विदेशी म आपूर्ति के थोक अनुज्ञापन का काम मिलेगा। दुकानदारों मदिरा की दुकानों का दो चरण में व्यवस्थापन होगा। लॉटरी में छोटी दुकानों का आवंटन पहले आओ और पहले पाओ के सिद्धांत पर किया जाएगा। आबकारी नीति के तहत उन्हीं दुकानों का नवीनीकरण किया जाएगा जिनकी कोई देनदारी नहीं है, और प्रतिभूति सुरक्षित है।
एक व्यक्ति तीन दुकानों के लिए बोली लगा सकता है।
पहली बार ओवरसीज मदिरा की आपूर्ति के लिए थोक अनुज्ञापन का प्रावधान किया गया है। इससे कस्टम ब्रांड में आने वाली ओवरसीज मदिरा के व्यापार को राजस्व हित में नियंत्रित किया
राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में माइक्रो डिस्टलेशन इकाइयां स्थापित की जाएंगी। सरकार का दावा है कि इससे पर्वतीय क्षेत्र में इनोवेशन और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। मदिरा में वनस्पतियों जड़ी बूटियां फलों और फूलों का प्रयोग होगा इससे राज्य को सुगंधित मदिरा के उत्पादन के हब के रूप में पहचान मिलेगी। देसी शराब में स्थानीय उत्पादों के उपयोग से राज्य स्थानीय किसानों और उद्यमियों को फायदा होगा। वह जड़ी बूटी और कीनू, माल्टा, नाशपाती, आडू आदि का उत्पादन बढ़ाएंगे।