नैनीताल। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद उत्तराखण्ड में शराब और खनन के कारोबार में माफियाओं की धमक देखी जाती रही है। हालिया घटनाक्रम में निदेशक खनन ने जो एफआईआर दर्ज कराई उससे उठे सवालों से धामी सरकार के दामन पर छींटे आ ही गए। आनन फानन में अपनी इमेज बचाने की खातिर निदेशक खनन को चार्जशीट थमा निलंबित कर दिया।
इधर धामी मोदी डबल इंजन सरकार मामले को ठंडा कर रफा दफा करने की सोच में थी, कि अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर के खिलाफ खननकारी ओम प्रकाश तिवारी नैनीताल उच्च न्यायालय पहुँच गया।
नैनीताल उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने मामले की गंभीरता को समझते हुए सीबीआई के वकील को यह आदेश दे दिए कि वह मामले को देखे और अदालत को बताए कि क्या यह गंभीर मामला सीबीआई की जाँच के योग्य है कि नहीं। इस आदेश से शासन में खलबली मच गई है, क्योंकि अगर मामले की सीबीआई जाँच ढंग से हो गई तो तथाकथित अपर सचिव के साथ साथ कई तथाकथित लिप्त अधिकारी और नेता सलाखों के पीछे हो सकते हैं।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि खनन में कारोबार के नाम पर नदियों का अवैध दोहन तो हो ही रहा है, अरबों रुपयों की पर्यावरणीय हानि के साथ साथ राज्य को अरबों रुपयों की राजस्व हानि भी पहुँचाई जा रही है, जिसका रोका जाना बेहद जरूरी है।