देहरादून। भाजपा को केंद्र में सरकार बनाने के लिए पाँच में से पूरे पाँच सांसद देकर, राज्य में भी भारी बहुमत से भाजपा की सरकार बनाने के पीछे यह तर्क दिया जाता था कि, केंद्र व राज्य में एक ही दल की सरकार होगी, तो राज्य के विकास कार्यों में कोई रुकावट नहीं होगी। फटाफट फटाफट राज्य के विकास के कामों को केंद्र सरकार स्वीकृत कर देगी। ऐसे फटाफट फटाफट विकास की सरकार को डबल इंजन की सरकार कह कर खूब प्रचारित किया गया।
मगर केंद्र व राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद इस राज्य में विकास परियोजनायें राज्य के निवासियों के हिसाब से बनने की बजाय, केंद्र के हिसाब से बनने लगी, साथ ही राज्य के विकास की परियोजनाओं का हाल ऐसा कर दिया जैसे लगाने लगा कि केंद्र और राज्य में एक दल की सरकार नहीं बल्कि विपरीत ध्रुवों की सरकार है। इसकी एक बानगी है देहरादून में नियो मेट्रो प्रोजेक्ट का पिछले सात सालों से लटके रहना।
केंद्र सरकार द्वारा नियो मेट्रो प्रोजेक्ट में कोई रुचि ना दिखाए जाने के बाद देहरादून की नियो मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए पुष्कर सिंह धामी सरकार ने कमर कस ली है। दरअसल, बजट के लिए केंद्र सरकार से मदद की आस में यह प्रोजेक्ट तकरीबन सात वर्ष से ठप पड़ा है। सूत्रों के मुताबिक अब धामी सरकार नियो मेट्रो के लिए 40 फीसदी बजट का इंतजाम खुद ही करेगी। शेष 60 फीसदी कार्यदायी एजेंसी को करना होगा। बता दें कि इससे पहले खबर आई थी कि केंद्र सरकार से मदद न मिलने के कारण नियो मेट्रो परियोजना को राज्य सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। अधिकारी पॉड टैक्सी के लिए संभावना तलाशने में लग गए थे। इसके डीपीआर के लिए बुनियादी सर्वे का काम भी करा लिया था।
देहरादून में नियो मेट्रो के लिए 2410 करोड़ रुपये चाहिए। उत्तराखंड सरकार ने 2024-2025 के अपने बजट में महज 101 करोड़ का प्रावधान किया है। हालांकि, यह रकम नियो मेट्रो के कार्यालय और अन्य प्रारंभिक खर्च के लिए पर्याप्त है। इससे पहले भी उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन के लिए राज्य सरकार 75 करोड़ रुपये और अन्य छोटे बजट का प्रावधान कर चुकी है। जो सिर्फ वेतन-भत्तों व छोटे-मोटे कार्यों के लिए ही पर्याप्त था। इससे साफ है कि नियो प्रोजेक्ट के लिए वह पूरी तरह केंद्र के भरोसे थी। केंद्र में नियो मेट्रो की फाइल अभी लटकी है। केंद्र सरकार की हरी झंडी मिलने के बाद ही बजट का रास्ता साफ हो पाएगा। दून में मेट्रो चलाने के नाम पर पिछले पांच वर्षों में करोड़ों रुपये सर्वे आदि पर खर्च हो गए। बताया जाता है कि पीएमओ में प्रोजेक्ट का प्रजेंटेशन हो चुका है। यहां से ग्रीन सिग्नल मिला तो केंद्र सरकार उत्तराखंड के लिए बजट में प्रावधान करेगी।
पिछले दिनों उत्तराखंड मेट्रो रेल अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर एंड बिल्डिंग कॉरपोरशन लिमिटेड (यूकेएमआरसी) के निदेशक मंडल की बैठक में मेट्रो नियो प्रोजेक्ट पर गहन चर्चा हुई। और हाईब्रिड एन्युटी मंडल पर काम शुरू करने का विकल्प सुझाया गया। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई इस बैठक का कार्यवृत जारी हो चुका है। इसके मुताबिक हाईब्रिड एन्युटी मॉडल के विकल्प पर निर्णय बोर्ड की आगामी बैठक में होने की संभावना है। नियो मेट्रो का डीपीआर बनकर तैयार है। राज्य सरकार 2022 में ही इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे चुकी है। इस प्रोजेक्ट पर 2410 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।