नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग में निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया है जिसे राष्ट्रपति महोदया ने स्वीकार भी कर लिया है। उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने इस घटना पर आश्चर्य व्यक्त करने के साथ चुनाव की पूर्व संध्या पर आयोग का इस तरह विखंडित हो जाने को लोकतंत्र के लिए घातक बताया।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि इस वर्ष भारत में लोकसभा के चुनाव होने हैं यह पहले से ही तय था। पिछले माह निर्वाचन आयुक्त हेम पंत रिटायर हो गए। देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण घड़ी में निर्वाचन आयोग के एक आयुक्त का रिटायर हो जाना तय था, मगर मोदी सरकार ने न तो चुनाव तक आयुक्त महोदय को विस्तार दिया और ना ही नए आयुक्त की घोषणा की। उसके साथ ही अरुण गोयल के वीआरएस को जिस सहजता के साथ स्वीकार किया गया वह मोदी सरकार को तमाम संदेहों के घेरे में खड़ा कर देता है।
एडवोकेट जोशी ने कहा कि अरुण गोयल मोदी सरकार के खासम खास अधिकारी रहे हैं, ऐसे में उनकी ओर से सरकार को कोई परेशानी हो रही हो ये अकल्पनीय है। एडवोकेट जोशी ने कहा कि आयोग का कोरम केवल मुख्य सूचना आयुक्त से पूरा नहीं होता। ऐसे में जिस आयोग का खुद का कोरम पूरा न हो वो आयोग लोकसभा सदस्यों की सूची कैसे जारी कर सकता है, और यदि कर भी देता है तो उसकी वैधानिकता क्या रह जायेगी।
उन्होंने मांग की कि मोदी सरकार को तुरंत दो सूचना आयुक्तों की नियुक्ति करनी चाहिए।