देहरादून। एनएच-74 मुआवजा घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह सहित आठ आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। आरोपियों में कुछ किसान भी शामिल हैं जिनकी संपत्ति ईडी पहले ही अटैच कर चुकी है। विशेष ईडी कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 13 नवंबर को तय की है।
उत्तराखंड में एनएच-74 मुआवजा घोटाला काफी सुर्खियों में रहा है। प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर मार्च 2017 में सरकार ने आठ पीसीएस अधिकारियों को प्रथम दृष्टयता दोषी माना था। तत्कालीन एडीएम प्रताप शाह ने ऊधमसिंहनगर की सिडकुल चौकी में एनएचएआइ के अधिकारी, कर्मचारियों के साथ ही सात तहसीलों के तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार और कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था।
राष्ट्रीय राज मार्ग के चौड़ीकरण में मुआवजा राशि आवंटन में तकरीबन 250 करोड़ के घोटाले की आशंका व्यक्त की गई थी। आरोप है कि मिलीभगत से अपात्र व्यक्तियों को मुआवजा राशि वितरित की गई। अब तक जांच में एसआइटी घोटाले की पुष्टि कर अधिकारियों व किसानों समेत 30 से अधिक लोगों को जेल भेज चुकी है। इस प्रकरण में दो आईएएस अधिकारी भी निलंबित हुए थे, जिन्हें बाद में शासन ने क्लीन चिट दे दी।
हरिद्वार से सितारगंज तक 252 किमी एनएच-74 के चौड़ीकरण के लिए वर्ष 2012-13 में प्रक्रिया शुरू की गई। कुछ किसानों ने आरोप लगाया था कि अफसरों, कर्मचारियों व दलालों से मिलीभगत कर बैकडेट में कृषि भूमि को अकृषि दर्शाकर करोड़ों रुपये मुआवजा लिया। इससे सरकार को करोड़ों रुपये की क्षति हुई थी।