देहरादून। बीते कुछ समय से भ्रष्टाचार के मामलों का प्रकाश में आना केंद्र की मोदी सरकार के डबल इंजन संरक्षण में चल रही भाजपा सरकार के लिए मुसीबत बना हुआ है। अब इस सरदर्द का कारण वन विभाग के आला अधिकारी संजीव चतुर्वेदी हैं जिन्होंने पूर्व में ही अपनी जाँच आख्याओं में वन विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार का खुलासा किया था। सरकार द्वारा मामले में कुछ न किए जाने पर उक्त की चर्चा सार्वजानिक प्लेटफॉर्म पर आने लगी थी लिहाजा ठीकरा पूरा ही न फूट जाये इसलिए विनय कुमार भार्गव को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया।
मामला बिना टेंडर के कार्य आवंटन और बिना अनुमोदन के वन क्षेत्र में पक्के निर्माण समेत फायर लाइन के कार्यों को तय सीमा से अधिक करने से जुड़ा है। हालांकि, अभी प्रमुख सचिव आर के सुधांशु ने आईएफएस अधिकारी विनय कुमार भार्गव को कारण बताओ नोटिस दिया है. नोटिस में यह स्पष्ट किया गया है कि 15 दिनों के भीतर इसका संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, यह पूरा मामला 2011 से 2021 के बीच का है। जिसमें जांच के दौरान वित्तीय अनियमितताओं के तथ्य सामने आए हैं। बड़ी बात यह है कि यह मामला आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी सामने लाए हैं। यह प्रकरण दिसंबर 2024 में IFS संजीव चतुर्वेदी के माध्यम से प्रकाश में आया।उन्होंने इस प्रकरण में वन मुख्यालय से लेकर शासन तक को चिट्ठी लिखकर गड़बड़ियों की जानकारी दी है।
खास बात यह है कि करीब 7 महीने पहले ही इस पर लिखित रूप से पत्राचार शुरू कर दिया गया था। मामले में शासन ने संज्ञान लेते हुए अब संबंधित अधिकारी को प्रकरण पर 15 दिन के भीतर जवाब देने के निर्देश दिए हैं।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने इस मामले में वन मंत्री की भूमिका पर भी सवाल उठाये हैं।