तमिल समेत 22 भाषाओं में सीएपीएफ परीक्षा होने से गढ़वाली कुमाऊँनी लोगों को होगा नुकसान : उविपा

कोटद्वार। उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने गढ़वाली कुमाऊँनी भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की। उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि तमिल समेत 22 भाषाओं में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की भर्ती होगी जिससे मात्र भाषा में परीक्षा का लाभ उन छात्रों को तो मिलेगा जिनकी मात्र भाषा अनुसूचित है, और सीधा सीधा नुकसान गढ़वाली कुमाऊँनी को होगा, जिनकी भाषा अनुसूचित नहीं है।

उन्होंने कहा कि देश के इकलौते अभागे हम हैं जहाँ हमने अलग भाषा संस्कृति के नाम पर हमने राज्य तो प्राप्त किया मगर अपनी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में अनुसूचित नहीं करवा पाये। उन्होंने कहा कि यह दुखद ही है कि जिन अलग भाषाओं के मूल आधार पर हमने अलग राज्य प्राप्त किया उन भाषाओं को मान्यता दिलवाने से राज्य के दोनों प्रमुख दल भाजपा कांग्रेस मुकर गए। 

एडवोकेट जोशी ने कहा कि किसी व्यक्ति के गाली देने पर उबाल से ज्यादा जरूरी अपनी भाषा संस्कृति को बचाना है। अगर हम अपनी भाषा को सम्मान नहीं देंगे तो कल को कई प्रणव और प्रेम हमें ऐसे ही गरियाते रहेंगे और भाजपा कांग्रेस दोनों के ही लाडले बने रहेंगे।

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