चीनी घुसपैठ को रोका चरवाहों ने। उविपा ने बदली परिस्थितियों में गोरिल्लाओं के फिर से गठन की मांग की

लद्दाख। लद्दाख में चीनी सैनिकों से भिड़े चरवाहे, चीनी सैनिकों ने चरवाहों को वहां भेड़ चराने से मना किया तो चीनी सैनिकों से भिड़ गए चरवाहे।

गलवान घाटी में  वर्ष 2020 में हुई झड़प के बाद से स्थानीय चरवाहों ने इस क्षेत्र में जानवरों को चराना बंद कर दिया था। एक माह पूर्व चरवाहे जब चारागाह में पहुंचे तो चीनी सेना पीएलए के जवानों ने उन्हें रोक दिया।  इस पर चरवाहों ने चीनी सैनिकों की बात मानने से इंकार कर दिया और कहा कि यह क्षेत्र भारतीय इलाके में है।
भारतीय चरवाहों को चीनी सैनिक चरागाह में जानवर ले जाने से मना कर रहे थे।  जिस पर यह वाकया पेश आया। चुशूल के काउंसिलर कॉनचॉक स्टेंजिन ने सोशल मीडिया पर एक विडियो शेयर किया जिसमें चीनी सैनिक चरवाहों को रोकते दिख रहे हैं। चरवाहे उनसे बहस कर रहे हैं और उस जगह से वापस जाने से मना कर रहे हैं।
 
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सहसचिव भारत सिंह चौहान ने कहा कि लद्दाख के मूल निवासियों को उत्तराखण्ड की सीमा पर रहने वाले गढ़वालियों की तरह गोरिल्ला प्रशिक्षण देना चाहिए, और उसके लिए उनकी सेवाओं का मोल भारत सरकार को उनको देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मूल निवासी वहां की स्थिति, परिस्थिति और पारिस्थिति में  निरंतर हो रहे बदलाव से भली भांति परिचित होता है, ऐसे में वहां पर किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से निपटने में अगर कोई सक्षम है तो वह है वहां का मूल निवासी। चीन के साथ आ रहे बदलाव को देखते हुए अब सीमा सुरक्षा बल द्वारा पूर्व में उत्तराखण्ड के सीमावर्ती गांवों में महिलाओं और पुरुषों को ट्रेनिंग देकर गोरिल्ला भर्ती करनी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *