कोटद्वार। कोटद्वार में भू माफियाओं द्वारा गढ़वालियों की भूमि खुर्द बुर्द करने के तरह तरह के मामले आते रहते हैं। ऐसा ही एक मामला दुर्गापुरी की एक कॉलोनी में सामने आया है, जहाँ भू माफिया ने एक गढ़वाली परिवार की भूमि को पार्क बता दिया। कॉलोनी के निवासी भी बिना लिखत पढ़त उस भूमि को पार्क समझते रहे। अब जब भूमि स्वामिनी ने उक्त भूमि पर निर्माण करना चाहा तो कॉलोनी वासियों ने हंगामा कर दिया।
उपजिलाधिकारी कोटद्वार सोहन सिंह सैनी द्वारा मामले की जॉच करवाई गई, तो पता चला कि कॉलोनी में प्लाटिंग करने वाले ने अपने प्लान में उक्त भूमि को पार्क बताया हुआ था। स्थानीय निवासियों ने तहसीलदार कोटद्वार को यह जरूर कहा कि उक्त पार्क के उनसे अलग से पैसे भी लिए गए, यद्वपि कोई भी ऐसा सबूत नहीं दिखा सका। तहसीलदार कोटद्वार ने स्पष्ट किया कि किसी निजी व्यक्ति द्वारा निजी ले आउट प्लान पर पार्क बता देने से वो भूमि पार्क की नहीं हो जाती है। उक्त खेत की खाता खतौनी में पूर्व उपजिलाधिकारी कमलेश मेहता के द्वारा ऐसे ही फर्जीवाड़ा की भूमि शासन में निहित की हुई है।
बताया जा रहा है कि निगम के कर्मचारियों अधिकारियों के साथ मिलकर कुछ लोग उक्त गढ़वाली परिवार की पैतृक संपत्ति खुर्द बुर्द करने की फिराक में थे, क्योंकि कॉलोनी वासियों ने जॉच के दौरान यह बताया कि उक्त भूमि पर नगर निगम कोटद्वार पार्क के लिए दस लाख रूपये स्वीकृत भी कर चुका है। ऐसे में सवाल यह है कि उक्त भूमि जब न तो निगम की है और ना ही सार्वजनिक भूमि है, तो बिना मालिकाना हकों की पुष्टि किए हुए, निगम के अधिकारियों ने पार्क निर्माण के लिए स्वीकृति किस बिना पर प्रदान की। निगम अधिकारियों की इस संदिग्ध भूमिका को देखते हुए उपजिलाधिकारी कोटद्वार ने निगम आयुक्त को स्थिति स्पष्ट करने के लिए पत्र भी प्रेषित कर दिया है। पूर्व में निगम द्वारा रेलवे की भूमि पर भी इसी तरह निर्माण किए जाने का मामला प्रकाश में आया था।