बड़े शहरों की बड़ी बड़ी औद्योगिक इमारतों के बोझ और भूमिगत जल के खाली होने से धंस रही जमीन

बीजिंग। चीन में उद्योगीकरण के कारण चीन ने विकास की नई ऊँचाइयाँ प्राप्त तो की मगर अंधाधुंध आधुनिकरण के दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं। चीन ने उद्योगीकरण की दौड़ में बड़े बड़े शहर बसाए। बड़े बड़े इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बसाए गए, मगर जमीन उनका कितना भारत कब तक सह सकती है, आधुनिकरण की दौड़ में इसकी पूर्णत: अनदेखी की गई।

आधुनिकरण और उद्योगीकारण के दौड़ में चीन ने प्राकृतिक रूप से उपलब्ध जल संसाधनों की कमी को देखते हुए विशाल शहरों और इंडस्ट्रियल कोरीडोरों की पानी की जरूरतों को भूमिगत जल से पूरा किया।

अब जब एक ओर ऊँची ऊँची इमारतों का बोझ धरती पर बढ़ा और दूसरी ओर उसी धरती के अंदर मौजूद पानी की उपलब्धता कम होती गई तो बड़ी बड़ी इमारतों के बोझ से चीन के बड़े शहरों में धरती के धंसने का खतरा मंडराने लगा है।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि चीन के दुष्प्रभावों से भारत को सीखने की जरूरत है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत आधुनिक भारत में बड़े शहरों के निर्माण में प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता की अनदेखी की जा रही है, जो आने वाले समय में भारत के लिए भारी साबित होगी। पार्टी का मानना है कि बड़े शहरों की अपेक्षा कस्बों और गाँवों में जीवन स्तर में सुधार किए जाने की आवश्यकता है।

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