रेल परियोजना में लापरवाही से पौड़ी देवप्रयाग मार्ग के हुए बुरे हाल

रेल परियोजना के निर्माण कार्य में लापरवाही की वजह से पौड़ी देवप्रयाग मार्ग हुआ बदहाल। परियोजना के निर्माण कार्य से देवप्रयाग को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाला पौड़ी देवप्रयाग मार्ग पर दलदल जैसी स्थिति हो गई है, लेकिन कोई भी इस मार्ग की सुद लेने को तैयार नहीं है। इस मार्ग से दो पहिया ही नहीं बल्कि चौपहिया वाहन भी आवाजाही में फिसल रहे हैं। ऐसे में जहां पहले 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी अब पौड़ी से देवप्रयाग कुल 66 किलोमीटर का फेर लगाना पड़ रहा है। अब 01 घंटे की बजाय देवप्रयाग से पौड़ी आने में ढाई घंटे लग रहे हैं।

पैदल राहगीरों के लिए यह मार्ग चलने लायक नहीं रह गया है। पौड़ी जिले के ब्लॉक कोट के ग्राम सौड के समीप ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है, जिससे यहां पौड़ी देवप्रयाग मार्ग पर भारी वाहनों की आवाजाही के कारण जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। ग्रामीण मार्ग के सुधारीकरण के लिए कई बार रेलवे, स्थानीय प्रशासन और लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन ग्रामीणों की सुद लेने वाला कोई नहीं है। इससे ग्रामीणों को घूम कर आवाजाही करनी पड़ रही है। जिससे ग्रामीणों का समय और धन दोनों ही बर्बाद हो रहे हैं ।

लोक निर्माण विभाग के दिनेश बिजलवान का कहना है की पौड़ी देवप्रयाग मार्ग का 13 किलोमीटर हिस्सा रेलवे को हस्तांतरित किया गया है, जिसके सुधारीकरण का कार्य रेलवे की ओर से किया जाना है।

भूपेंद्र सिंह उप महाप्रबंधक रेलवे के द्वारा बताया गया की मार्ग के सुधारीकरण कार्य के लिए टेंडर हो चुका है। 16 करोड़ 68 लाख की लागत से मार्ग का सुधारीकरण किया जाएगा।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि सवाल वही है कि जब भी कोई परियोजना बनाई जाती है उस परियोजना में पूर्व निर्मित जो सड़क होती है उसको ठीक-ठाक रखने की जिम्मेदारी नई बन रही परियोजना वालों की होती है। मगर यहां देखभाल के लिए कोई नहीं है। अगर यही स्थिति दिल्ली की हो गई होती तो वहां हाहाकार मच गया होता। दिल्ली में मेट्रो परियोजना में किसी भी जगह जाम की स्थिति नहीं लगने दी गई थी। यहां सीधे लोगों की वजह से परियोजना निर्माण में लागत बचाने के लिए ग्रामीणों को परेशान किया जा रहा है।

 

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