कतर ने रिहा किए भारतीय नागरिक। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल कर रहे थे रिहाई की लगातार कोशिश

दोहा। कतर में हिरासत में रखे गए भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसरों को रिहा कर दिया गया है। इन आठ में से सात भारतीय वापस भारत भी लौट आए हैं।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, ‘आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत किया जाता है जो दाहरा ग्लोबल कंपनी में काम कर रहे थे और कतर में हिरासत में थे।’

कतर में इन भारतीयों को अगस्त 2022 में हिरासत में लिया गया था। पिछले साल कतर की अदालत ने इन्हें जासूसी के मामले में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, बाद में इस सजा को कम कर दिया गया था। इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि इस कंपनी के मालिक को पहले ही बरी कर दिया गया था और इन लोगों को हिरासत में लिया गया था। इस मामले में कतर की सरकार ने इस कंपनी और कंपनी में कार्यरत भारतीय पूर्व सैनिकों  पर इसराइल के लिए सैन्य जासूसी करने का आरोप लगाया था। कतर गुप्त रूप से इटली से कुछ सैन्य सामान खरीद रहा था, जिसकी सूचना इसराइल को लग गई थी। जिससे कतार भड़क गया और उसने इस कंपनी और इन पूर्व सैनिकों को पर इस सैन्य करार के लीक होने का आरोप लगाया। इस प्रकरण में इजरायल की चुप्पी ने मामले को और उलझा दिया था । कंपनी के मालिक को छोड़ देने से यह महसूस हो गया था कि मामले में राजनैतिक तौर पर ही कुछ किया जा सकता है। इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कई बार कतर के अधिकारियों से के साथ बैठक कर मामले को  आखिरकार सुलझा  ही लिया। इस मामले में दोनों देशों के बीच संबंधों को पुनः बहाल करने के लिए 14 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कतर की राजधानी दोहा जा रहे हैं। पीएम मोदी यूएई के दौरे के बाद कतर पहुंचेंगे। 

कतर और भारत के पूर्व संबंध इतने प्रगाढ़ रहे हैं कि कतर की सुरक्षा व्यवस्था भारतीय पूर्व सैनिकों द्वारा देखी जाती रही है ।

नौसेना के जिन 8 पूर्व अफसरों को कतर में हिरासत में रखा गया था, उनमें कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदू तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश हैं।

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