नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) से उसके पूर्व चीफ विजिलेंस ऑफिसर (सीवीओ) संजीव चतुर्वेदी की याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में उनके बीच चल रही कानूनी लड़ाई में संस्थान पर झूठी गवाही देने का आरोप है।
न्यायमूर्ति सी हरि शंकर और न्यायमूर्ति अजय दिगपॉल की पीठ ने संजीव चतुर्वेदी की याचिका पर एम्स को नोटिस जारी किया है।
पीठ ने 24 फरवरी को पारित आदेश में कहा, ‘नोटिस जारी करें। यदि कोई उत्तर हो, तो उसे चार हफ्ते के भीतर दाखिल किया जाए, जिसकी अग्रिम प्रति याचिकाकर्ता के विद्वान वकील को दी जाए, जो चार सप्ताह के भीतर उस पर प्रत्युत्तर दाखिल कर सकते हैं।’
याचिकाकर्ता संजीव चतुर्वेदी के अधिवक्ता ने कहा कि एम्स ने वित्त वर्ष 2014-15 के लिए अपनी वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन (एनुअल परफॉर्मेंस अप्रेजल) रिपोर्ट लिखने के ‘चैनल’ से संबंधित उनकी याचिका के जवाब में 17 अगस्त, 2016 को दाखिल अपने जवाबी हलफनामे में ‘झूठे बयान’ दिए हैं। याचिकाकर्ता 2012 से 2014 के बीच एम्स में मुख्य सतर्कता अधिकारी थे और उन्होंने चिकित्सा संस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी, लेकिन 2016 में उनके कार्यकाल की समाप्ति से पहले अगस्त 2014 में पद से मुक्त कर दिया गया था।
इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी.