लेह। लद्दाख में लोकतंत्र की बहाली के लिए और लद्दाख को उत्तराखण्ड जैसा राज्य बनने से रोकने के लिए सोनम वांगचुक के साथ वहां के मूल निवासियों के द्वारा नमक और पानी पर अनशन का आज सातवां दिन है।
सोनम वांगचुक का कहना है कि आज कि जो परिस्थितियाँ लद्दाख में हैं, उसे देख कर यह कहने में हमें कोई हिचक नहीं है कि इस स्थिति से अच्छी स्थिति में हम तब थे जब हम जम्मू कश्मीर का हिस्सा थे।
लद्दाखी समुदाय का कहना है कि जिस तरह का केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को बना दिया गया है, उससे लद्दाख के मूल निवासियों के हक हकूक प्रभावित हुए हैं, और मोदी सरकार द्वारा विकास के नाम पर बाहरी निवेशकों को आकर्षित किया जा रहा है, उससे लद्दाख के मूल जीवन पर भी न केवल गलत असर पड़ेगा पर्यावरण की दृष्टि से भी यह अमान्य है।
सोनम वांगचुक ने कहा कि उत्तराखण्ड में विकास के नाम पर पहाड़ों में स्लेट निकालने के लिए अंधा धुंध दोहन हुआ क्योंकि खनन कंपनियों के क्षेत्र की स्थिरता से कोई मतलब नहीं है। मूल निवासियों के घरों में दरारें आ रहीं हैं, वे पलायन के लिए मजबूर हैं, मगर अपने हक की बात न वो उठा पा रहे हैं और न ही कोई सुनने वाला है।