नई दिल्ली। चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार मनोज सोनकर को विजेता घोषित करने के पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह के फैसले को कल उच्चतम न्यायालय ने निरस्त कर दिया और आम आदमी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को विजेता घोषित किया। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ,जस्टिस जे.बी. पादरीवाला व जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने 30 जनवरी को हुए चुनाव में अनिल मसीह की ओर से रद्द किए गए आठ वोटों को वैद्य करार दिया।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा की लोकतांत्रिक सिद्धांतों को संरक्षित करना और चुनावी लोकतंत्र को खत्म करने के प्रयासों को रोकना अदालत का परम कर्तव्य है। कोर्ट ने मसीह के बयान को झूठा करार दिया कोर्ट ने रजिस्ट्रार न्यायिक को निर्देश दिए कि मसीह को नोटिस जारी कर पूछे कि क्यों ना उनके खिलाफ अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत कदम उठाया जाए। यह धारा कोर्ट में झूठा बयान देने से जुड़ी है। इसके तहत कोर्ट अनिल मसीह को सजा सुना सकता है।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया और साथ ही साथ जनता के लिए चेतावनी भी कि इस लोकतंत्र में अति लोकप्रिय पार्टी भी सत्ता प्राप्ति के लिए अलोकतांत्रिक तरीकों को अपनाने में नहीं हिचकती है, तो यह लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है, और ऐसी पार्टियों से सजग और सावधान रहने की जरूरत है। नहीं तो आज नहीं तो कल लोकतंत्र खतरे में आ सकता है।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने इसे सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसला बताया है और कहा कि यह फैसला मील के पत्थर की तरह याद रखा जाएगा। इससे मोदी सरकार की नीतियों और नियत को उजागर करने में मदद मिली है।