नैनीताल। कल नैनीताल में विशेष मामले राज्य निर्वाचन आयोग ने माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल से या तो राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश पर माननीय हाई कोर्ट द्वारा लगाया गया स्टे खारिज करने या मामले के संबंध में स्पष्ट आदेश देने की याचिका में सुनवाई हुई।
माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल की मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायाधीश आलोक मेहरा की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए लगाये गये स्टे को बरकरार रखा और कहा कि हमने चुनाव में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया है आप पंचायती राज अधिनियम के तहत ही चुनावों का संचालन करें।
इस आदेश ने राज्य निर्वाचन आयोग को वहीं का वहीं खड़ा कर दिया।
राज्य निर्वाचन आयोग ने इस आदेश के बाद चुनाव चिन्ह आवंटन को मंगलवार तक के लिए और बढ़ा दिया।
अब सवाल यह है कि जो दो वोटर लिस्ट में नाम वाले प्रत्याशी हैं पंचायती राज अधिनियम के तहत उनका आवेदन खारिज हो जाना चाहिए था मगर निर्वाचन आयोग द्वारा ऐसा नहीं किया गया ऐसे में स्पष्ट है कि एक्ट की धारा 9 की उपधारा 6 व 7 में प्रतिबंधित व्यक्ति चुनाव लड़कर चुनाव की पवित्रता को खंडित करेंगे। उसको रोकने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने अभी तक कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया है।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चन्द्र जोशी ने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए संभावित दावेदारों के दो दो निर्वाचन सूची में नाम होना बताता है कि वे किस तरह सत्ता का उपयोग चुनाव को दूषित करने के लिए कर रहे हैं। एक आम नागरिक को तो यह माना जा सकता है कि उसे इन बातों की जानकारी नहीं होगी मगर अध्यक्ष पद के दावेदार एक्ट की इस धारा से अनभिज्ञ नहीं हैं।