उत्तराखण्ड के जंगलों में लगी हुई आग बुझाने की भाजपा सरकार की कार्यशैली से शीर्ष न्यायालय असंतुष्ट, कहा कार्ययोजना अमल में नहीं लाई जाती

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने जंगल की आग से निपटने को लेकर उत्तराखण्ड सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर असंतोष जाहिर करते हुए कठोर टिप्पणियां की। साथ ही सूबे के मुख्य सचिव को तलब कर लिया। न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को 17 मई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिए हैं। उत्तराखण्ड सरकार पर कड़ा रुख अपनाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि जंगल की आग को काबू करने में राज्य का नजरिया ठीक नहीं था।

उच्चतम न्यायालय ने जैसे ही उत्तराखंड में जंगल की आग के मसले पर दाखिल की गई याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की, उसे बताया गया कि जंगलों में भीषण आग है। राज्य में 40 फीसदी जंगल आग की चपेट में हैं। इसे बुझाया नहीं जा सका है। अदालत को यह भी बताया गया कि जंगलों में लगी आग के बीच वन विभाग के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर लगाया गया। इसके बाट शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड सरकार से तीखे सवाल पूछे।

सर्वोच्च अदालत ने पूछा- आपने जंगल के अग्निशमन कर्मचारियों को आग के बीच चुनाव ड्यूटी पर क्यों लगाया है? इस पर पीठ को जवाब देते हुए, राज्य के एक अधिकारी ने कहा कि चुनाव ड्यूटी खत्म हो गई है और मुख्य सचिव ने दमकल विभाग के किसी भी अधिकारी को चुनाव ड्यूटी पर नहीं लगाने का निर्देश दिया है। इस पर अदालत ने कहा- यह खेदजनक स्थिति है। आप केवल बहाने बना रहे हैं।

पीठ ने उत्तराखण्ड सरकार की ओर से पेश वकील से पूछा कि क्या आग बुझाने वाले उपकरणों की खरीद के लिए कुछ किया है। रिक्तियां क्यों नहीं भरी गईं। इस पर उत्तराखण्ड सरकार के वकील ने कहा- हमने पिछले साल 1,205 पद भरे थे और बाकी पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है। उत्तराखण्ड सरकार की ओर से पेश वकील ने यह भी कहा कि कोई नई आग नहीं लगी है। इस पर सुप्रीम कोर्ट अगला कहा- आग बुझाने के लिए केंद्रीय धन का उपयोग क्यों नहीं किया गया। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि पिछले साल केंद्र की ओर से दी गई 09 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम में से केवल 03.14 करोड़ रुपये जंगल की आग को रोकने पर खर्च किए गए। शीर्ष अदालत ने इस पर स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही मुख्य सचिव से वन विभाग में रिक्तियों, अग्निशमन उपकरणों की कमी और चुनाव आयोग की ओर से दी गई विशिष्ट छूट के बावजूद वन अधिकारियों की तैनाती के बारे में भी स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।

उत्तराखण्ड सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि केंद्र और राज्य की छह सदस्यीय समिति मदद कर सकती है ताकि आग पर काबू पाया जा सके। हम आग बुझाने की स्थिति में हैं। मौजूदा वक्त में 9,000 से अधिक लोग काम कर रहे हैं। इसे लेकर 420 मामले दर्ज किए गए हैं। हम बैठकें कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हर दूसरे दिन अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि कार्य योजनाएं तो कई तैयार कर ली जाती हैं, लेकिन उन्हें अमल में लाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता है।

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