कोटद्वार। कोटद्वार तहसील में 30 मई को आचार संहिता के बीच खो नदी के दो स्थानों के लिए रिवर ट्रेनिंग के नाम पर नीलामी हुई। भाजपा सरकार की बैचैनी से जनता हैरान है। खो नदी पर ही खनन के कारण झूला पुल बस्ती के निकट वाले पुल की अप्रोच बह गई थी।
खो नदी में ही रिवर ट्रेनिंग के नाम पर हुए खनन के बाद सिद्धबली पुल के पिलर की नींव स्पष्ट नजर आने लगी हैं। जिसकी शिकायत जिलाधिकारी गढ़वाल से की गई है।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सह सचिव आशीष किमोठी ने खनन अधिकारी और उपजिलाधिकारी कोटद्वार से इस संबंध में जानना चाहा तो उन्होंने स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
आशीष किमोठी ने बोला कि पिछले समय हुए खनन के बारे में भाजपा के ही लोगों ने हरक सिंह रावत पर इल्जाम लगा दिया था, मगर इस बार आचार संहिता के दौरान तो हरक सिंह रावत पार्टी तक में नहीं हैं तो इस खनन के पीछे आखिर कौन है?
आशीष किमोठी ने कहा कि रिवर ट्रेनिंग नीति में स्पष्ट लिखा गया है कि खनिज परिवहन खनिज परिहार नियमावली के तहत ही किया जायेगा, मगर खनन अधिकारी परिवहन किए जाने वाले खनिज की स्पष्टता के लिए सीसीटीवी और धर्मकांटा लगाने से इंकार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पोकलैंड जैसी मशीनों की अनुमति देना और इनपर कोई निगहबानी न होना बताता है कि मंशा क्या है। उन्होंने कोटद्वार की जनता को आगाह किया कि खनन के इस खेल में और कोई नुकसान होने से बचाने के लिए कोटद्वार की जनता को आगे आना होना।
उन्होंने कहा कि ना तो अधिकारी कोटद्वार के रहने वाले हैं, और ना ही जनप्रतिनिधि इस लिए खनन के खेल से उनको कोई नुक्सान नहीं है। पहले भी हरक सिंह रावत कोटद्वार के रहने वाले नहीं थे। उन्होंने कहा मोदी के नाम पर वोट देकर हमारे लोग अपने आने वाली पीढ़ी के साथ अन्याय कर रहे हैं, क्योंकि इस हिसाब से आने वाले कुछ सालों में कोटद्वार में बहुत कुछ नहीं बचेगा।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि डेढ़ दो करोड़ के राजस्व के लालच में 35 करोड़ की सुरक्षा दीवार बनानी पड़ रही है और 28 करोड़ का नया पुल बनाना पड़ रहा है, साथ ही साथ करोड़ों करोड़ रुपयों के नुक्सान की पूर्ति के लिए करोड़ों खर्च करने पड़ रहे हैं, जबकि इन पैसों का इस्तेमाल कोटद्वार के विकास के लिए किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि कोटद्वार सुखरो की कर्टेन वॉल आज भी सुरक्षित खड़ी है तब अब कर्टेन वॉल क्यों नहीं बनाई जा रही है ?