कोटद्वार। उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने भाजपा कांग्रेस की सरकारों पर गढ़वाली और कुमाउँनी भाषा के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हम इतने बेशर्म हो चुके हैं कि हमारे वो जनप्रतिनिधि जिन्हें हमने गढ़वाली और कुमाऊँनी भाषा के विकास और संवर्धन के लिए वोट दिया है, वो इन भाषाओं की बजाय बंगाली भाषा उत्तराखण्ड में पढ़ाये जाने और पश्चिमी बांग्लादेश के लोगों को अनुसूचित सूची में शामिल किए जाने की पैरवी करते हैं, और हम ऐसे प्रतिनिधियों का विरोध तक नहीं करते, जबकि हमारी भाषायें हिंदी से भी ज्यादा समृद्ध भाषायें हैं।
एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि पूरे देश में हिंदी सहित कन्नड़ पंजाबी, बंगाली आदि भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करके संरक्षण प्रदान किया गया है, जिस वजह से ही ये भाषायें नये युग में विकास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी जैसी भाषा को भी यदि आठवीं अनुसूची में स्थान न दिया गया होता तो आने वाले सौ सालों में लुप्तप्राय होने वाली भाषा में हिंदी का भी नाम शामिल होता।
एडवोकेट जोशी ने आरोप लगाया कि एक राष्ट्र के नाम पर भाजपा और कांग्रेस भारत की कई भाषाओं को खत्म कर देना चाहती हैं, और जिसमें गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषायें अग्रणीय हैं, और आज यह स्थिति है कि गढ़वाली आने वाले पचास सालों में लुप्त होने की कगार पर होगी।
उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश के जनप्रतिनिधि अपने प्रदेश की भाषाओं को संरक्षण देने की बात करने की बजाय बंगाली आदि भाषाओं को संरक्षण और उनके संवर्धन के लिए लगातार प्रयासरत हों, और उनका कोई विरोध न हो रहा हो, तो ऐसे में गढ़वाली कुमाउँनी भाषा का विकास क्या कोई बंगाली बंगाल से आकर करेगा।
उन्होंने कहा कि भाजपा की नकली देशभक्ति की टॉनिक गढ़वाल और कुमाऊँ की संस्कृति को कितना नुकसान पहुँचा रही है, इसका अंदाजा अभी लोगों को नहीं है।