वीर चंद्रसिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से प्रत्यायन (accreditation) मिला।

भरसार । प्रोफेसर एस पी सती द्वारा बताया गया कि वर्ष 2011 में विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने के बाद पहली बार वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड  औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय का प्रत्यायन हुआ है , जो अपनेआप में एक उपलब्धि है। इससे पहले विश्वविद्यालय का प्रत्यायन नही होने का सबसे प्रमुख कारण यहाँ शैक्षणिक पदों पर बहुत कम नियुक्तियों का होना रहा है।

वर्तमान कुलपति प्रोफेसर परविंदर कौशल ने लगभग दो साल पहले कार्यभार संभालते ही विश्वविद्यालय के प्रत्यायन को एक चुनौती के रूप में लिया। इसके लिए सबसे पहले शैक्षणिक पदों पर भर्ती का अभियान चलाया गया। तमाम अवरोधों के बावजूद लगभग चालीस शिक्षकों कि नियुक्ति प्रक्रिया सम्पन्न की गई, जिनमें दो अधिष्ठाता, एक शोध निदेशक, एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट प्रोफेसर तथा पैंतीस सहायक प्रोफेसरों कि नियुक्ति शामिल है। नियुक्तियों के बाद विश्वविद्यालय में व्यापक स्तर पर प्रत्यायन की दृष्टि से तयारियाँ की गई।

दिसंबर 15 से 20, 2024 के बीच देश के प्रख्यात कृषि, वानिकी एवं आउद्यानिकी के विशेषज्ञों की टीम ने विश्व विद्यालय के औद्यानिकी महाविद्यालय भरसार एवं वानिकी महाविद्यालय रानिचौरी का भ्रमण किया। इसके पश्चात जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में हुई उच्च स्तरीय बैठक में विश्वविद्यालय के प्रत्यायन का निर्णय लिया गया। अब विश्वविद्यालय को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से प्रत्यायन प्रदान किए जाने का पत्र प्राप्त हुआ है।

ज्ञात हो कि अब विश्वविद्यालय को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से विकास मद से समुचित राशि प्राप्त होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इसके साथ ही राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय कि रैंकिंग में भी उल्लेखनीय सुधार आने का अनुमान है। ज्ञात हो कि इस प्रत्यायन कि मान्यता अवधि अगले पाँच वर्ष तक रहेगी।
कुलपति प्रोफेसर परवेंदर कौशल ने इस खुशी के अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए इस प्रक्रिया में उनके सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया है।

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