नैनीताल। मोदी सरकार में जम कर घोटाले हो रहे हैं, मगर मोदी सरकार है कि घोटालेबाजों पर कार्यवाही से बच रही है। चाहे कॉर्बेट नेशनल पार्क में घोटाले की बात हो या उद्यान विभाग में फर्जीवाड़े की बात हो, चाहे समाज कल्याण विभाग ने छह सौ करोड़ के घोटाले की बात हो, मोदी सरकार के डबल इंजन ने घोटालों को दबाने का ही प्रयास किया और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों की आवाज दबाने के लिए उन पर ही झूठे मुकदमें दर्ज करवा दिए। एडवोकेट चंद्र शेखर करगेती और दीपक करगेती इस बात के सबूत हैं कि मोदी सरकार के डबल इंजन ने इन लोगों के द्वारा संज्ञान में लाए गए घोटालों को दबाने का ही प्रयास किया व इनके खिलाफ झूठे फर्जी मुकदमें लगा कर इनको खामोश करने का प्रयास किया गया। वो तो इन सभी मामलों में माननीय हाई कोर्ट ने सख्त जांच के लिए मामले अपनी निगरानी में पुलिस और सीबीआई को सौंप दिए तो जाँच संभव हो सकी।
ऐसा ही भ्रष्टाचार से जुड़ा एक और मामला कोरोना काल में हुआ था, सूचना का अधिकार में कौशल विकास योजना में 131 करोड़ का घोटाला उजागर होने के बावजूद मोदी सरकार के डबल इंजन ने कोई कार्यवाही नहीं की। अब उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने कौशल विकास योजना में कोरोनाकाल से अब तक हुए 131 करोड़ रुपये के घोटाले संबंधी जनहित याचिका में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सी.बी.आई.)से मौखिक तौर पर पूछा है कि क्या इस मामले में उनसे जाँच कराई जा सकती है ? इसपर अपनी स्थिति स्पष्ट करें।
मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तिथि तय की गई है। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में केंद्र और राज्य सरकार, निदेशक कौशल विकास, सचिव कौशल विकास और नोडल अधिकारी कौशल विकास को पक्षकार बनाया है। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार से इस मामले के सभी रिकार्ड उपलब्ध कराने के साथ ही याचिकाकर्ता को घोटाले में शामिल निजी कंपनियों और एन.जी.ओ.को पक्षकार बनाने को कहा गया था।
अधिवक्ता श्रुति जोशी ने बताया कि हल्द्वानी आवास विकास कालोनी निवासी एहतशाम हुसैन खान उर्फ ‘विक्की’ खान व अन्य की तरफ से जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि उत्तराखण्ड में केन्द्र सरकार से सहायतित कौशल विकास योजना में कोविड महामारी के दौरान गड़बड़ी की गयी।
कोरोनाकाल के दौरान जब सभी प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगी थी, तब प्रशिक्षण और नौकरी के नाम पर लगभग 131 करोड़ की भारी भरकम धनराशि हड़प ली गयी। प्रदेश सरकार दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रही है, जबकि इस घोटाले में अधिकारी समेत लगभग 27 एन.जी.ओ.भी शामिल हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में चल रही कौशल विकास प्रशिक्षण योजना के नाम पर कई अनियमितताएं बरती गई और अकेले कोरोना काल में ही प्रदेश के 55 हजार छात्रों को प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग कराकर उन्हें नौकरी तक आवंटित कर दी गई।
ऐसे लोगों के नाम पर पेमेंट हुई जो इस दुनिया में ही नहीं हैं और कुछ 18 साल से कम उम्र के हैं। ये बच्चे पूरी तरह से अपने माँ बाप पर निर्भर हैं। जिन छात्रों के आधारकार्ड लगाए गए हैं वो पूरी तरह फर्जी हैं। इस पूरे फर्जीवाड़े में केंद्र सरकार को 131 करोड़ का चूना लगाया गया है। याचिका में ये भी कहा गया है कि कोरोनाकाल में प्रशिक्षण कराया जाना असम्भव था और इसकी जांच सी.बी.आई.से कराई जाय।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि मोदी की डबल इंजन की सरकार युवाओं के साथ खिलवाड़ तो कर ही रही है साथ ही युवाओं के हितों के लिए मिले करोड़ों रुपयों को हड़प कर डकार भी नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि युवाओं को अपने हितों के प्रति जागरूक होना पड़ेगा नहीं तो मोदी सरकार का डबल इंजन उन्हें कहीं के काबिल नहीं छोड़ेगा। उन्होंने इस मामले में माननीय न्यायालय के निर्णय का स्वागत भी किया।