श्रीनगर। मूल निवास 1950 को लेकर प्रदेश भर में चल रहे धरना प्रदर्शन का अगला पड़ाव अब श्रीनगर गढ़वाल होने जा रहा है। कल मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति की ओर से आयोजित बैठक में श्रीनगर के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों की सहमति से श्रीनगर में 10 मार्च को महारैली आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इस अवसर पर श्रीनगर के राज्य आंदोलनकारी अनिल स्वामी ने कहा कि उत्तराखण्ड बनाने की लड़ाई जिन वजहों से लड़ी गई थी, उनकी पूर्ति इन 23 सालों में भी नहीं हो पाई है। जिसका मूल कारण भाजपा और कांग्रेस के द्वारा दिल्ली और नागपुर से संचालित होना है। अनिल स्वामी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उत्तराखण्ड की जनता अपना मुख्यमंत्री नहीं चुन पाती है, और हारे हुए विधायक को जीते हुए विधायकों पर तरजीह देकर मुख्यमंत्री बना दिया जाता है। जो यह बताता है कि भारतीय जनता पार्टी को उत्तराखंड के मूल निवासियों की सुविधाओं और विकास से कोई मतलब नहीं है।
इस अवसर पर बोलते हुए लुसुन टोडरिया ने कहा कि मूल निवास आंदोलन अब उत्तराखण्ड आंदोलन की तर्ज पर आगे बढ़ता जा रहा है।
बैठक में मोहित डिमरी, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष प्रभाकर बाबुलकर, अरुण नेगी, समाजसेवी बीना चौधरी, प्रांजल नौटियाल, छात्रसंघ अध्यक्ष बिड़ला परिसर सुधांशु थपलियाल, अंकित उछोली आदि बैठक में मौजूद थे। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि जनता को अपने हक हकूक की लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ेगी तभी मूल निवास एवं मजबूत भू कानून राज्य में लागू हो पाएगा।
उधर उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने मूल निवास 1950 और भू कानून की मांग को लेकर होने वाली रैली को अपना पूर्ण समर्थन दिया है।