देहरादून/कोटद्वार। कोटद्वार के बहुचर्चित मोटर नगर प्रकरण में पिस रही आम जनता के लिए राहत का झौंका आया है। उत्तराखण्ड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने मोटर नगर पत्रावली का अध्ययन कर पाया था कि मामले में अनुबंधकर्ता और निगम अधिकारियों की मिलीभगत का खेल अनुबंध के समय से ही चल रहा था, लिहाजा उक्त तथ्यों के आधार पर जाँच करने के लिए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को शिकायत की थी। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मामले की जाँच अपर सचिव कार्मिक एवं मुख्यमंत्री ललित मोहन रयाल को सौंपी थी।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चन्द्र जोशी ने कहा कि जाँच में पाया गया कि अधिकारियों की कंसेनर/अनुबंधकर्ता द्वारा अनुबंध में वर्णित डिजाइन के आधार पर सभी भूमि खुदाई के कार्य पूर्ण कर लिये गये थे। उक्त स्थल के आगे के भाग में 80 प्रतिशत अंडर ग्राउंड सीसी तथा आरसीसी कार्य एवं पृष्ठ भाग में दर्शायी गई संरचना के अंडर ग्राउंड एवं सुपर स्ट्रक्चर के सीसी तथा आरसीसी कार्य पूर्ण कर दिये गये हैं। इससे स्पष्ट है कि कंसेनर/अनुबंधकर्ता को कार्य करने में कोई बाधा नहीं आ रही थी।
जाँच में ये भी पाया गया कि डीपीआर में 18380 वर्ग मीटर भूमि उपलब्ध बताई गई जबकि 15480 वर्ग मीटर जमीन ही वास्तव में उपलब्ध थी। शासन ने पूर्व निर्मित संरचनाओं को छोड़ कर शेष बची भूमि पर ही बस अड्डा निर्माण की अनुमति प्रदान की थी।
एडवोकेट जगदीश चन्द्र जोशी ने अनुबंधकर्ता की जमानत राशि जब्त करते हुए उक्त मोटर स्थल को नगर निगम द्वारा ही संचालित किये जाने की मांग की ।