नई दिल्ली/चंडीगढ़। फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम. एस. पी.) गारंटी कानून और कर्जमाफी समेत 12 मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर रहे किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच कई जगहें झड़पें हुईं। हरियाणा के शंभू बॉर्डर और जींद के दाता सिंह वाला बॉर्डर पर किसानों ने उग्र प्रदर्शन किया। उन्होंने पुलिस बैरिकेड भी तोड़ दिया। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, रबड़ की गोलियां चलाई और पानी की बौछार की और किसानों को हरियाणा की सीमा में घुसते नहीं दिया। संगरूर के खनोरी में किसानों पर लाठियां भी बरसाई गई। इन झड़पों में पुलिस डीएसपी समेत 11 पुलिसकर्मी और 60 से अधिक किसान घायल हो गए। कई किसानों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया।
सोमवार को केंद्र और किसान संगठनों की वार्ता बे नतीजा रहने के बाद मंगलवार सुबह से ही हजारों किसान हरियाणा से लगी पंजाब की 13 सीमाओं से आगे बढ़े। किसानों ने शंभू बॉर्डर पर बैरिकेडिंग की पहली लेयर तोड़ दी, कंक्रीट के बड़े-बड़े बोल्डर हटाने की कोशिश की और जगह-जगह कटीले तार भी काट दिए। सड़क पर लगाई गई कीलों को भी किसानों ने उखाड़ने का प्रयास किया। इन प्रयासों में किसानों और पुलिस के बीच कई बार झड़पें हुई। हजारों किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियों पर राशन पानी और जेसीबी मशीन के साथ थे।
पुलिस ने ड्रोन से पंजाब में 300 मीटर अंदर तक आंसू गैस के गोले छोड़े। हरियाणा में अर्धसैनिक बलों की 64 और राज्य पुलिस की 50 कंपनियां जिलों में किसानों को रोकने के लिए तैनात की गई है।
हाई कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सभी को अधिकार है, लेकिन इसमें संतुलन होना चाहिए। सभी पक्ष मिलकर समाधान निकालें। कानून व्यवस्था बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन बल प्रयोग अंतिम विकल्प होना चाहिए।
उधर केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरकार किसानों की हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन फसलों पर एमएसपी गारंटी का कानून जल्दबाजी में नहीं लाया जा सकता है, सभी पक्षों से परामर्श करना होगा।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी जब विपक्ष में थी, तब भारतीय जनता पार्टी ने एमएसपी गारंटी कानून के लिए जगह-जगह सड़क से संसद तक आंदोलन किया, मगर जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आ गई तो, इन 10 सालों में एमएसपी गारंटी कानून बनाने में डर रही है। उत्तराखण्ड विकास पार्टी के महासचिव संजय बुडाकोटी ने कहा कि किसान समृद्ध होगा, तो देश विकास करेगा। किसानों की बदहाली से देश का विकास किसी कीमत पर संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि बड़ी-बड़ी चौड़ी सड़कें, बड़े-बड़े एयरपोर्ट इस देश के विकास का सूचकांक तब तक नहीं बन सकते जब तक के किसान को उसकी मेहनत की पूरी और सही मजदूरी नहीं मिलेगी।