आयुष्मान भारत में 1760 बीमारियों का इलाज होता है। अब सरकार ने इसमें से 196 बीमारियों को प्राइवेट अस्पताल में होने वाले ट्रीटमेंट से हटा दिया है।
सरकार ने मलेरिया, मोतियाबिंद ,सर्जिकल डिलीवरी, नसबंदी और गैंग्रीन जैसे 196 बीमारी को हटा दिया। सरकार के इस फैसले का लोगों पर असर पड़ा है।
दरअसल, कई लाभार्थी इसका इलाज करवाने के लिए सरकारी अस्पताल न जाकर प्राइवटे हॉस्पिटल जाते थे। इसकी वजह थी कि प्राइवेट अस्पताल में सुविधाएं बेहतर होती है। परंतु, जब से सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों की लिस्ट से 196 बीमारी को हटाया है तब से आम जनता की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
आपको बता दें कि सरकार ने भले ही प्राइवेट अस्पताल ने इन बीमारियों को हटा दिया है पर सरकारी अस्पतालों में इनका इलाज जारी है। इसका मतलब है कि आयुष्मान कार्ड धारक सरकारी अस्पताल जाकर इन बीमारी का इलाज करवा सकते हैं।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी के सचिव एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि मोदी सरकार की प्राथमिकता पहाड़ों में सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स और उपकरण सुविधाओं को उपलब्ध कराने की होनी चाहिए। आयुष्मान भारत योजना का लाभ गरीब गढ़वालियों को इसलिए नहीं मिल पा रहा है , क्योंकि पहाड़ों में निजी अस्पताल नाम मात्र के हैं, ऐसे में निजी अस्पतालों में इलाज करने के लिए के लिए गरीब गढ़वालियों को देहरादून हल्द्वानी आना काफी महंगा पड़ जाता है । कई बार तो इलाज से ज्यादा खर्च आने-जाने और रहने खाने का हो जाता है। एडवोकेट जगदीश चंद्र जोशी ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना का लाभ मैदान में तो लोग उठा रहे हैं , मगर पहाड़ के लिए यह एक ऐसी सरकारी योजना है जिसका लाभ मिले ना मिले की तरह हो गया।