अडानी पावर मामले में रजिस्ट्री ने सूचीबद्ध नहीं किया मामला अब कल होगी सुनवाई

आज सुप्रीम कोर्ट में वकील दुष्यंत दवे ने खंडपीठ के सामने मामले में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री की लापरवाही उजागर करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में ऐसा असंभव है कि केस की लिस्टिंग ही ना हो। दवे ने कहा कि यह बहुत परेशान करने वाला है कि रजिस्ट्री मामलों को सूचीबद्ध नहीं कर रही है। दवे ने दोनों जजों की पीठ से इस मामले में गुजारिश करते हुए कहा, ‘लॉर्डशिप को न्यायिक आदेश पारित करना चाहिए।’

इस पर जस्टिस ए बोस ने पूछा, “इसे सूचीबद्ध किया जाना था।” तो दुष्यंत दवे ने बताया, “सहायक रजिस्ट्रार ने कहा है कि उनके पास इस केस को लिस्ट नहीं करने का आदेश है।” दवे ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अगर इस घटना के पीछे सरकार है तो यह अदालत की अवमानना है। उन्होंने खंडपीठ से मामले को आज ही सूचीबद्ध कराने का अनुरोध किया।

इस पर पीठ ने कहा, “ऐसा किसके कहने पर हुआ? हम पता लगा लेंगे। आप 2 बजे आइए।” इस पर दवे ने कहा, लॉर्डशिप, कृपया उन्हें कॉल किया जाए। मैं यहीं इंतजार करूंगा। अन्य पीठों ने भी नोटिस जारी किया है। मैं यहीं इंतजार करूंगा। ऐसा कैसे हो सकता है कि कोर्ट प्रपोज करे और रजिस्ट्री डिस्पोज कर दे। कृपया उन्हें समन करें।”

बाद में अदालत ने मामले को 24 जनवरी (बुधवार) को ताजा मामलों के बाद पहले केस के रूप में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर लिया।

इसी बीच कोर्टरूम में मौजूद एक और याचिकाकर्ता ने इसी तरह का मामला उठाते हुए कहा कि उन्होंने 20 करोड़ लोगों के हितों से जुड़ी एक जनहित याचिका दाखिल की है, और उसकी सुनवाई आज होनी थी, लेकिन उसे भी लिस्टेड नहीं किया जा सका है। उस याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी जनहित याचिका को दो हफ्तों में सुना जाना चाहिए था लेकिन आठ हफ्ते बीत गए, सुनवाई नहीं हो सकी है। इस पर भी कोर्ट ने कहा कि हम बुधवार को सुनेंगे।

आज जिस मामले की सुनवाई होनी थी वह अडानी पावर के खिलाफ जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के आरोपों से संबंधित है। राजस्थान की सरकारी कंपनी का आरोप है कि मुख्य मामले में अंतिम निर्णय आ जाने के बावजूद अडानी पावर ने एक आवेदन सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध किया था। पिछले साल जनवरी में, राजस्थान डिस्कॉम द्वारा इस मुद्दे को उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के महासचिव को एक पत्र लिखा गया था।

पत्र के अनुसार, 31 अगस्त, 2020 को मामले का अंतिम निपटान होने के बावजूद, मामले को 6 जनवरी, 2023 को आदेश के लिए सूचीबद्ध किया गया था। पत्र में कहा गया है कि यह मुद्दा रजिस्ट्री की अखंडता पर सवाल खड़े करता है। अगस्त 2020 के फैसले में, अदालत ने कहा था कि अडानी पावर लेट पेमेंट सरचार्ज के भुगतान का हकदार नहीं है, जबकि राजस्थान बिजली वितरक ने पूरी राशि का भुगतान किया और अडानी पावर ने इसे स्वीकार कर लिया था।

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