कोटद्वार में दो- दो डिग्री कॉलेज होने के बावजूद छात्रों को क्यों छोड़ना पड़ रहा है शहर

कोटद्वार। भाजपा सरकार के कार्यकाल में  गढ़वाल और कुमाऊं के क्षेत्र आधुनिक शिक्षा में पिछड़ रहे हैं। कोटद्वार क्षेत्र में पूर्व से एक डिग्री कॉलेज के दो डिग्री कॉलेज हो गए, मगर आज के युग में नौकरी पाने के लिए जिन विषयों की दरकार है, उन विषयों की कक्षायें इन डिग्री कॉलेजों में संचालित नहीं की जा रही हैं, जिस वजह से कोटद्वार के छात्रों को अध्ययन के लिए कोटद्वार छोड़ कर बाहर जाना पड़  रहा है।

कोटद्वार के दोनों डिग्री कॉलेजों  में आज  भी एम.बी.ए., एल.एल.बी., एल.एल.एम. आदि रोजगारपरक विषयों के पाठ्यक्रमों का अभाव है, जिस वजह से कोटद्वार और आस- पास के क्षेत्रों के युवाओं को पढ़ाई के लिए अन्य शहरों में जाना पड़ रहा है, जहाँ पढ़ाई के खर्च से ज्यादा रहने और खाने पीने का खर्च आ रहा है।

कोटद्वार भाबर के महाविद्यालय कण्वघाटी के हाल तो और भी खराब हैं। 07 साल पहले भाबर में राजकीय महाविद्यालय खोल दिया गया था, लेकिन यहां परास्नातक की कक्षायें आज तक शुरू नहीं हो पाई हैं। स्नातक स्तर पर भी कला संकाय में अन्य विषयों के संचालन की अनुमति नहीं मिल पाई है।

वर्ष 2013-14 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने  भाबर में डिग्री कॉलेज खोलने की अनुमति प्रदान की थी। वर्ष 2015 में डिग्री कॉलेज का विधिवत संचालन शुरू हो गया था। शुरुआत में यहां स्नातक स्तर पर कला संकाय में समाजशास्त्र, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, संस्कृत ,हिंदी और राजनीतिक विज्ञान विषयों के संचालन की अनुमति मिली। इसके अलावा वाणिज्य और विज्ञान संकाय का संचालन भी शुरू हुआ।

महाविद्यालय के अस्तित्व में आने के  07 साल के बाद भी ना तो स्नातक कला संकाय के विषय में किसी विषय की संख्या में ना तो इजाफा हुआ और ना ही परास्नातक कक्षाओं के संचालन की अनुमति इस कॉलेज को मिली।

राजकीय महाविद्यालय कण्व घाटी के प्राचार्य प्रोफेसर वी.के. अग्रवाल ने कहा कि परास्नातकीय कक्षाओं के संचालन की अनुमति दिलाने के साथ ही अन्य सभी सुविधाओं को जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। इस संबंध में जल्द ही विश्वविद्यालय प्रशासन को अनुस्मारक पत्र भेजकर कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया है।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी के महासचिव पूरण सिंह भंडारी ने कहा कि मोदी सरकार का ध्यान छात्रों को अच्छी शिक्षा दिलवाने पर नहीं है, इसी लिए चाट पकौड़ी और चाय बेचने को ही रोजगार बता रही है,जबकि यह गरीबों द्वारा आजीविका के लिए किया जाने वाला श्रम है। उन्होंने कहा कि खुद कोई भी चाट पकौड़ी वाला भी अपने बच्चों को उच्च शिक्षित कर कोई अन्य रोजगार करवाना चाहता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का कोई मोल नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत को अगर वाकई विकास करना है, तो शिक्षा और चिकित्सा को निशुल्क करना होगा।

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