इंदौर। माननीय हाई कोर्ट ने एक महिला के मकान को गलत तरीके से दहा देने पर महिला को मुआवजा देने का आदेश किया है।
माननीय हाई कोर्ट ने साथ ही यह टिप्पणी की, कि आजकल बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाये मकान तोड़ देने का फैशन सा बन गया है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने एक मामले की सुनवाई करते हुए एक महिला के मकान को नगर निगम के अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से ढहा दिए जाने पर महिला को एक लाख का मुआवजा देने का आदेश किया है।
साथ ही साथ कोर्ट ने टिप्पणी भी की, कि आजकल बिना विधिक प्रक्रिया को अपनाए हुए आम नागरिकों के मकान तोड़ने का आजकल फैशन सा बन गया है, जो कि गलत है।
कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राधा नामक महिला को एक लाख रूपये का मुआवजा देने का आदेश दिया, और कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के अनुसार किसी भी व्यक्ति को सुनवाई का पूरा मौका दिया जाना चाहिए।
यहां पर नगर निगम के अधिकारियों ने बिना सुनने और बिना विधिक प्रक्रिया के महिला के मकान को गिरा दिया था हाई कोर्ट ने शासन को उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के आदेश दिए जिन अधिकारियों ने गलत डॉक्यूमेंट के आधार पर मकान गिरा दिया था यह फैसला आजकल की उन घटनाओं के समय आया है जिस वक्त मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में भाजपा की सरकारों द्वारा लगातार लोगों के मकान बिना विधिक प्रक्रिया को अपनाए गिरा दिए जा रहे हैं।