सी. आर. पी. एफ. में क्षेत्रीय भाषाओं में भी होगी परीक्षा। गढ़वाली कुमाऊँनी को भाषा का दर्जा न दिए जाने से मूल निवासियों को होगा नुकसान

नई दिल्ली। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सी.आर.पी.एफ.) में सिपाही की भर्ती के लिए पहली बार हिंदी व अंग्रेजी के अलावा 13 क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा कराई जाएगी।

यह 13 भाषाएं हैं पंजाबी, मणिपुरी, कोंकणी, उर्दू, उड़िया, तेलुगू, तमिल, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती, बांग्ला और असमिया।

कर्मचारी चयन आयोग (एस.एस.सी.) की प्रमुख परीक्षाओं में से एक कांस्टेबल (जी.डी.) भर्ती 20 फरवरी से 07 मार्च तक देश भर के 128 शहरों में होगी। इसमें करीब 48 लाख अभ्यर्थी शामिल हो सकते हैं।

13 क्षेत्रीय भाषाओं में 01 जनवरी से परीक्षा करने का फैसला गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा किया गया है।

गढ़वाली कुमाऊनियों को होगा इससे नुकसान

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा की गढ़वाली और कुमाऊँनी को भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अभी तक भाषा का दर्जा नहीं दिया है, जिस वजह से इन प्रतियोगी परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषा के जानकार अभ्यर्थी के ज्यादा सफल होने का अनुमान है। अगर भाजपा कांग्रेस की सरकारों ने गढ़वाली और कुमाऊँनी को भाषा का दर्जा दे दिया होता तो प्रतियोगी परीक्षाओं में गढ़वाली कुमाऊँनियों को समान अवसर प्राप्त हो जाते।

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