पेटीएम फास्ट टैग पर रोक से ढाई करोड़ लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं

नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने फास्टैग जारी करने वाले अधिकृत बैंकों की सूची से पेटीएम पेमेंट्स बैंक को बाहर कर दिया है।  इस वजह से 29 फरवरी के बाद टोल प्लाजा पर भुगतान करने में जिन लोगों का फास्टैग पेटीएम से जुड़ा है उन लोगों को दिक्कत आ सकती है। ऐसा बताया जा रहा है कि इस वक्त 2 करोड़ 40 लाख पेटीएम यूजर्स हैं।

एनएचएआई  की टोल संग्रहण इकाई भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड ने फास्टैग यूजर्स के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें 32 अधिकृत बैंकों से फास्ट टैग सेवाएं लेने की सलाह दी गई है। जानकारों का कहना है कि जिनके पास एटीएम फास्ट टैग है उन्हें फास्ट टैग को सरेंडर कर इन अधिकृत बैंकों से नया फास्ट टैग खरीदना होगा।

देश में 8 करोड़ से ज्यादा फास्ट टैग यूजर्स हैं। इनमें पेटीएम पेमेंट्स बैंक की हिस्सेदारी करीब 30% है। 

भारतीय बैंकों में लगातार हो रहे फ्रॉड और उससे हो रहे नुकसान से उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने गहरी चिंता जताई।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी के महासचिव संजय बुडाकोटी ने कहा कि इतने बड़े देश में बुनियादी कामों को सरकार के द्वारा ही किया जाना चाहिए।  निजी क्षेत्र में दिए जा रही बहुत सारी सेवाओं में घोटाले का भय हमेशा बना रहता है, और इस पर नजर भी नहीं रखी जा रही है। जब तक की घोटाला न हो जाए सरकार आंखों पर पट्टी बांधे  हुए रहती है। इसलिए यदि इतने बड़े देश में घोटाले को रोकना है, तो बुनियादी सेवाओं को निजी क्षेत्र में पूर्णता आजादी दिए जाने से रोकना होगा। सरकारी क्षेत्र की कंपनियों को खत्म किए जाने से घोटाले की आशंका बढ़ जाती है। सरकारी क्षेत्र में भ्रष्टाचार आधिकारिक स्तर पर होता है जिसका मूल्यांकन बहुत ज्यादा नहीं जा पाता मगर निजी क्षेत्र की कंपनियां हजारों और लाखों करोड़ रुपए का चूना लगाने में सक्षम रहती हैं।

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