मोदी सरकार एमएसपी गारंटी को कांट्रेक्ट से जोड़ने पर अड़ी, किसानों के साथ हुई वार्ता विफल

चंडीगढ़। किसानों और केंद्र की भाजपा सरकार के बीच चली चार दौर की  वार्ता असफल हो गई है। भाजपा सरकार की ओर से अरहर, मसूर, उड़द ,मक्की और कपास की फसल उगाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट  फार्मिंग की शर्त पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) की गारंटी का प्रस्ताव किसानों ने मंजूर नहीं किया।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने  कहा कि सरकार करार नहीं , एम.एस.पी. की पूरी कानूनी गारंटी दे। इससे कम हमें कुछ मंजूर नहीं है।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार रात चौथे दौर की बैठक के बाद धान व गेहूं के अलावा पांच अन्य फसलों पर एम.एस.पी. का प्रस्ताव दिया था।  इसके तहत किसानों को भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और भारतीय कपास निगम (सीसीआई) से 5 साल का करार करने की शर्त थी।

किसानों ने कहा कि वह फसलों पर एम.एस.पी. को कानूनी गारंटी के लिए किसी भी प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट की प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे। किसानों ने सभी फसलों पर एम.एस.पी. की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी और बिजली अधिनियम की वापसी की प्रमुख तीन मांगे रखी हैं। पांच या सात साल के करार के प्रस्ताव से किसानों को कोई लाभ नहीं है। 

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो बड़े जोर शोर से मंचों पर एम.एस.पी. की गारंटी की बात कहा करते थे। स्वामीनाथन रिपोर्ट  को लागू न करने पर कांग्रेस को पानी पी पीकर कोसने वाले गुजरात के  तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी, आज खुद स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने से क्यों डर रहे हैं? उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को चाहिए कि मोदी के मुख्यमंत्री काल में किसानों के हितों के लिए किए गए वायदों के वीडियो को अवश्य देखें और तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी  के लिए गए वायदों को धरातल पर उतारें, नहीं तो यही सिद्ध होगा कि सत्ता पाने के लिए भारतीय जनता पार्टी कुछ भी बोल सकती है।

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