पहाड़ विरोधी हैं सुबोध उनियाल समेत सभी भाजपा मंत्री, सीएम की घोषणा मंत्री नहीं बदल सकते: उविपा

देहरादून/कोटद्वार। उत्तराखण्ड भाषा संस्थान के लिए सहस्त्रधारा रोड, रायपुर में राजस्व विभाग से भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया का उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने विरोध किया है।

मुख्यमंत्री ने की थी गैरसैंण में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान बनाने की घोषणा

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के द्वारा 06 अक्टूबर 2020 को उत्तराखण्ड भाषा संस्थान का मुख्यालय गैरसैंण में बनाने की घोषणा की गई थी, उस दौरान यह बताया गया था कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद वहां विभिन्न संस्थाओं और कार्यालयों की स्थापना की जाएगी। गैरसैंण में भाषा संस्थान का मुख्यालय इसी दिशा में उठाया गया एक कदम बताया गया था। संस्थान के लिए भूमि खरीदने के लिए 50 लाख की व्यवस्था भी की गई थी। लेकिन इन चार सालों में गैरसैंण  में भाषा संस्थान खोलने की घोषणा महज घोषणा बन कर रह गई और गैरसैंण में भूमि खरीदने के लिए कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। उधर भाषा संस्थान को देहरादून में किराए के कार्यालय में चलाया गया। गैरसैंण से पहले उत्तराखण्ड भाषा संस्थान को हरिद्वार ले जाने की भी कोशिश हुई थी।

सुबोध उनियाल समेत सभी मंत्री पहाड़ विरोधी: उविपा 

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेता पहाड़ विरोधी है, और उनके प्रत्येक कृत्य से पहाड़ का विरोध झलकता है। क्योंकि पहाड़ी अपने खिलाफ हो रहे कृत्यों का कभी विरोध नहीं किया, इसलिए अब इस तरीके के  पहाड़ विरोधी कृत्य सामान्य बात हो गए हैं।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेद्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड भाषा संस्थान को गैरसैंण में बनाने की घोषणा की थी, मगर वर्तमान मंत्री सुबोध उनियाल इसे देहरादून रायपुर में खुलवाने के प्रयास कर रहे हैं,जो  स्पष्ट करता है कि भारतीय जनता पार्टी को पहाड़ों के विकास से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एक अवैधानिक कृत्य है क्योंकि मुख्यमंत्री की घोषणा कोई मंत्री बदल नहीं सकता, उस  घोषणा में बदलाव मंत्रिमंडल ही कर सकता है।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने कहा कि यह गजब हो रहा है कि मुख्यमंत्री की घोषणा एक मंत्री बदल दे रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार के राज में नियम कानून का कोई मतलब नहीं रह गया है। जिसकी जो मर्जी आती है वह वह कर देता है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी गढ़वाली और कुमाऊनी संस्कृति को खत्म करे, इससे पहले गढ़वालियों और कुमाऊनियों को जागना पड़ेगा, नहीं तो गढ़वाली और कुमाऊनी भाषा संस्कृति विलुप्त हो जायेगी।

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