भाजपा सरकार को बड़ा झटका, हाई कोर्ट ने उड़ाये प्रशांत राही, हेम मिश्रा और प्रोफेसर समेत छह आरोपियों पर माओवादी कनेक्शन के आरोप

नागपुर। मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया।  नागपुर पीठ ने जीएन साईबाबा समेत पांच अन्य को माओवादी लिंक के एक कथित मामले में बरी कर दिया है। उच्च न्यायालय ने उनकी उस अपील को भी स्वीकार कर लिया है, जिसमें एक अदालत की तरफ से उन्हें दोषी ठहराया गया था और उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।

न्यायमूर्ति विनय जी जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मिकी एसए मेनेजेस की खंडपीठ ने अहम फैसला देते हुए जी एन साईबाबा समेत छह लोगों को कथित माओवादी लिंक के मामले में बरी कर दिया।

जीएन साईबाबा और उनके सह-आरोपियों को 2014 में माओवादी गुटों से जुड़े होने और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। साईबाबा, महेश तिर्की, हेम मिश्रा और प्रशांत राही ने ये अपीलें दायर की थीं, जिन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

वहीं विजय को 2017 में एक विशेष अदालत ने 10 साल जेल की सजा सुनाई थी। विजय तिर्की जमानत पर बाहर था, जबकि नरोटे की पिछले साल स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने के बाद जेल में मौत हो गई थी।

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