नई दिल्ली। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में नियुक्ति समिति के सदस्य अधीर रंजन चौधरी के द्वारा लगाए गए आरोपों से नियुक्ति प्रक्रिया विवादास्पद हो गई है।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति में गृह मंत्री के साथ विपक्षी दल के नेता अधीर रंजन चौधरी भी थे। अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि उन्हें एक रात पहले ही 212 नामों की एक सूची दी गई थी। इसके बाद बैठक से पहले छह उम्मीदवारों की सूची दे दी गई । इनकी पृष्टभूमि और निष्ठा के बारे में जानने के लिए उनके पास समय ही नहीं था। इस लिए अधीर रंजन चौधरी ने प्रक्रिया का विरोध किया।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उन्हें मात्र औपचारिकता पूरी करने के लिए बुलाया गया था। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश भी होते तो स्थिति अलग होती और मोदी सरकार को इस तरह नियम विरुद्ध कार्य करने में परेशानी होती।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने सुखवीर संधू और ज्ञानेश कुमार की सूचना आयुक्तों के पद पर नियुक्ति का स्वागत करते हुए कहा कि, लोकतंत्र की गरिमा बहाल रखने के लिए भारत को कई सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत है, मगर अफसोस है कि जनता जिस भी पार्टी को सुधार के लिए सत्ता में बैठाती है, वो पार्टी अपने को सत्ता में बनाए रखने के लिए तानाशाही की ओर कदम उठाने लगती है। कमोवेश मोदी सरकार भी खुद को सत्ता में बनाए रखने के लिए लोकतंत्र में अलोकतांत्रिक प्रणालियों की रचना कर रही है।