इलेक्टोरल बॉन्ड्स मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आधा अधूरे खुलासे पर क्या कहा

नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉन्ड के खुलासे को लेकर मोदी सरकार की बेचैनी के कारण स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा दी जा रही आधी अधूरी जानकारी से नाराज सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पाँच सदस्यीय पीठ ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को कड़ी फटकार लगाई और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया कि भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद को टालने के लिए अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बृहस्पतिवार शाम पाँच बजे तक यह हलफनामा दाखिल करें कि बैंक ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स से संबंधित डाटा के संबंध में उनके बैंक के पास जितनी भी सूचनायें उपलब्ध हैं, उन सभी सूचनाओं का खुलासा कर दिया गया है।

इलेक्टोरल बॉन्ड्स के मामले में हो रहे खुलासों से यह नजर आ रहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स मामला देश में न केवल भ्रष्टाचार का साधक है अपितु देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ भी है।

कल हुई सुनवाई में पीठ ने केंद्र सरकार और एसबीआई के वकीलों की दलीलों को निरस्त करते हुए अभी तक इलेक्टोरल बॉन्ड्स की समस्त जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध न कराने पर कड़ी फटकार लगाई और वकीलों से कहा कि आप हमें हमारे ही फैसले की समीक्षा करने जैसी बात न करें, जो हमारे आदेश में लिखा हुआ है उसका पूरी तरह पालन किया जाय। एसबीआई को खरीद व रसीद के सभी विवरण पेश करने होंगे।

उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इन पैसों का लेनदेन बैंक के माध्यम से हुआ मगर इनकम टैक्स द्वारा हजारों करोड़ के इन ट्रांजेक्शन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई, जबकि कांग्रेस द्वारा  कुल चौदह लाख रूपये कैश में जमा किए गए जिनमें कांग्रेस द्वारा दो हजार रुपए से ऊपर की रसीद काटी गई थी। ऐसे में यह स्पष्ट हो रहा है कि मोदी राज में  देश की विभिन्न एजेंसियां संविधान के तहत प्रदत्त कर्तव्य और अधिकारों के तहत काम न करके एक राजनैतिक पार्टी के एजेंट के रूप में काम कर रही हैं, जो कि लोकतंत्र के लिए खतरा हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *