नई दिल्ली। देश के सबसे अमीर एक फीसदी लोगों कि कमाई और सम्पति उच्चत्तम स्तर पर पहुँच गई है। इन लोगों के पास देश की कुल सम्पति का चालीस दशमलव एक फ़ीसदी हिस्सा है। कुल आय में इन सबसे अमीर लोगों की हिस्सेदारी 22.6 फीसदी है। अब तक का यह सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। यह अनुपात अमेरिका ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका से भी अधिक है।
भारत में सबसे अमीर एक प्रतिशत आबादी का आमदनी में हिस्सा अब तक सबसे ऊँचे स्तर पर है।
आज के भारत में असमानता ब्रिटिश राज से भी अधिक
वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब की रिपोर्ट में पिछले वित्तीय वर्ष में बताया गया कि भारत में असमानता ब्रिटिश राज से भी ज्यादा हो गई है। आजादी के बाद 1980 के दशक कि शुरुआत तक अमीरों और गरीबों के बीच आय व धन कि गिरावट देखी गई थी। 2000 के दशक में अमीरों और ग़रीबों के बीच असमानता तेजी से बढ़ी। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013-14 से वर्ष 2022-23 के बीच आय में असमानता में तेजी से उछाल आया। रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके पीछे कर/टैक्स से जुडी नीतियाँ जिम्मेदार हैं।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि मोदी राज में अमीरों और गरीबों के बीच विषमता तेजी से बढ़ रही है। किसानों के छोटे छोटे कर्जे तो बड़े बड़े आंदोलनों के बाद भी माफ़ नहीं हो रहे हैं, और अमीरों के कर्जे बिना बोले ही वेव ऑफ कर दिए जा रहे है। पार्टी उपाध्यक्ष पूरण सिंह भंडारी ने कहा कि मोदी सरकार, सरकार में खाली पदों को भी भरने में डर रही है और सार्वजनिक उपक्रम निजी हाथों में सौंपे जा रहे हैं, जिससे लाखों करोड़ों लोगों को मिलने वाले रोजगार में कमी आई है। हर आदमी व्यवसाय नहीं कर सकता है। सार्वजनिक उपक्रमों की स्थापना की मूल भावना ही लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना था, जब निजी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सब्सिडी दी जाती है, तो सार्वजानिक उपक्रमों को भी रोजगार के लिए बनाये रखा जा सकता था। पार्टी ने आश्चर्य व्यक्त किया कि मोदी सरकार पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा आम जन के लिए उपलब्ध रोजगारों को खत्म कर स्वरोजगार की झूठी टिप्स किस आधार पर दे रही है।