तमिलनाडु के राज्यपाल के आचरण पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई फटकार

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को द्रमुक नेता पोनमुडी को दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने पर तमिलनाडु के गवर्नर आरएन रवि को कड़ी फटकार लगाई।

पीठ ने पूछा कि तमिलनाडु के राज्यपाल कैसे कह सकते हैं कि  पोनमुडी का राज्य मंत्रिमंडल में दोबारा शामिल होना संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ होगा।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- हम आरएन रवि के आचरण को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं। वे कोर्ट की अवहेलना कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल आरएन रवि को शुक्रवार 22 मार्च तक फैसला करने को कहा है।

तमिलनाडु सरकार की तरफ से लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा- हम राज्यपाल के आचरण को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं, हम इसे अदालत में जोर से नहीं कहना चाहते थे लेकिन हम मजबूर हैं।

आर एन रवि सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना कर रहे हैं। जब सुप्रीम कोर्ट किसी दोषसिद्धि पर रोक लगाता है तो राज्यपाल को यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि उसे मंत्री नहीं बनाया जा सकता।

तमिलनाडु सरकार ने पोनमुडी की सजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च 2024 को सुनवाई करते हुए सजा पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से पोनमुडी की दोषसिद्धी को निलंबित करने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें विधायक के रूप में बहाल कर दिया, लेकिन राज्यपाल ने उन्हें मंत्री पद की शपथ नहीं दिलवाई। राज्यपाल का कहना था कि पोनमुडी की सजा सिर्फ निलंबित की गई है, रद्द नहीं।

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