नई दिल्ली। भारत में हर साल 6.3 करोड़ लोगों को सिर्फ इसलिए गरीबी से जूझना पड़ता है क्योंकि उन्हें अपने स्वास्थ्य का खर्चा खुद उठाना पड़ता है।
पर ऐसा होता क्यों है?
जवाब है सरकार की अनदेखी।
जिस देश में एक सांसद के स्वास्थ्य पर सरकार सालभर में 51 हजार रुपये से ज्यादा खर्च कर देती है, उसी देश के आम नागरिक के स्वास्थ्य पर खर्च 18 सौ रुपये के करीब ही है। सरकार की अपनी रिपोर्ट में ये आंकड़े दर्ज हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी ‘नेशनल हेल्थ अकाउंट्स’ की रिपोर्ट में 2018-19 में स्वास्थ्य पर हुए खर्च की जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि 2018-19 में केंद्र और राज्यों की सरकारों ने स्वास्थ्य पर कितना खर्च किया और लोगों ने अपनी जेब से कितने?
इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2018-19 में स्वास्थ्य पर 5.96 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुए थे। इनमें से 2.42 लाख करोड़ रुपये केंद्र और राज्य सरकारों ने खर्च किए। बाकी का खर्च लोगों ने खुद उठाया या फिर निजी संस्थाओं ने किया।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकारों ने 2018-19 में एक व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सालभर में 1 हजार 815 रुपये खर्च किए।
अगर एक व्यक्ति पर हुए खर्च का एक दिन का औसत निकाला जाए, तो ये 5 रुपये से भी कम होता है.