देहरादून। 19 अप्रैल को उत्तराखण्ड में होने वाले मतदान के लिए चुनाव प्रचार स्टार प्रचारकों के आगमन तक पहुँच गया है, मगर स्टार प्रचारकों ने मतदाताओं का मन बदल दिया हो ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है।
पिछले दो लोकसभा चुनाव में मोदी नाम की सुनामी में अच्छे बुरे सभी प्रत्याशी साफ हो गए थे, मगर इस बार पिछली बार की तरह सुनामी देखने को नहीं मिल रही है। अब चुंकि पिछली सुनामियों में लोगों के आंकलन ध्वस्त हो गए थे, इस बार आंकलन में गलती न रह जाए इस वजह से मोदी नाम सुनामी से लहर और लहर से होते हुए फैक्टर में तब्दील हो चुका है। यानी मोदी फैक्टर का प्रत्याशियों को लाभ तो मिलेगा परंतु जीत की गारंटी बन पाएगा इसमें संदेह उत्पन्न हो गया है।
टिहरी लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार के समर्थन में जिस तरह सुदूर पहाड़ में भी लोग उमड़ रहे हैं और भाजपा को अपनी रैलियों में लोगों को लाना मुश्किल हो रहा है, उससे तो कम से कम यह नजर आ रहा है कि जनता केवल मोदी नाम के सहारे लोकसभा में किसी को भी भेज देने वाले फैक्टर से ऊपर उठ चुकी है।
सांगठनिक दृष्टि से देखें तो कांग्रेस ही भाजपा को टक्कर देती नजर आती है, क्योंकि कांग्रेस का संगठन ग्राम स्तर तक मौजूद है, ऐसे में टक्कर भाजपा कांग्रेस के बीच ही मानी जा रही थी, मगर बॉबी पंवार की हवा ने मामले को बदल दिया है।
टिहरी लोकसभा से निर्दलीय प्रत्याशी की भाजपा प्रत्याशी पर जीत का मनोवैज्ञानिक फायदा कांग्रेस को एक पार्टी के तौर पर होने वाला है। लोकसभा चुनाव खत्म होते ही नगर पंचायत और निगमों के चुनाव होने हैं, लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले इन चुनावों से कोई विपरीत संदेश ना चला जाय, इसलिए भाजपा ने निकाय चुनाव टाल कर प्रशासकों की नियुक्ति कर दी थी। निश्चित तौर पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत कांग्रेस को एक पार्टी के रूप में तोहफा देगी, क्योंकि निकाय चुनावों में भाजपा की मनोवैज्ञानिक बढ़त खत्म हो चुकी होगी। यानी जीत निर्दलीय प्रत्याशी की होगी और उस जीत की सबसे ज्यादा खुशी कांग्रेस को होगी।
कांग्रेस का एक पार्टी के तौर पर सक्षम संगठन है, जो प्रदेश के बड़े नेताओं की कारगुजारी, गुटबंदी और असक्षमता के कारण अपनी क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रहा है, बड़े फैसलों में नेताओं की मनमानी से मैदान में कांग्रेस कार्यकर्ता के हाथ प्रताड़ना ही आती है, ऐसे में एक जीत की ओर देख रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के बड़े नेताओं ने टिकट बंटवारे निराश ही किया है, मगर इतनी विपरीत परिथितियों में भी अगर बॉबी पंवार की जीत होती है तो कांग्रेस के कार्यकर्ता को इस जीत से मनोवैज्ञानिक सबल मिलेगा।